Thursday, June 23, 2011

अररिया के गावों में आज भी जिंदा है ढेकी


अररिया : आधुनिकता के प्रवेश ने भले ही ग्रामीण परंपरा का 'चीर हरण' कर लिया हो, परंपराओं से प्यार करने वाले अररिया जिले के गांवों में धान कूटने वाली ढेकी आज भी 'जिंदा' है। जिले के सुदूरवर्ती गांवों में पारिवारिक उपयोग का चावल ढेकी के माध्यम से ही तैयार होता है।
अररिया प्रखंड के देवरिया गांव में खास कर शेरशाहवादी मुस्लिम समुदाय की महिलाएं ढेकी से ही चावल बनाती हैं।
इस संबंध में पूछने पर गांव की एक महिला मुशकुरा, सुवेरा खातून, मुन्नी आदि ने बताया कि अपने खाने के लिए हर परिवार के लोग ढेकी का चावल ही पसंद करते हैं। क्योंकि ढेकी से बने चावल में पौष्टिक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहते हैं। जबकि राइस मिल में बनाए जाने वाले चावल से पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं।
रेलवे में प्रवासी मजदूर के रूप में काम करने वाले अकबर ने बताया कि वे बाहर रहते हैं, लेकिन ढेकी से बने चावल का स्वाद उन्हें गांव खींच लाता है, लेकिन उससे भी बड़ी बात है कि ढेकी से चावल तैयार करने के कारण महिलाएं इंगेज रहती हैं और इस दौरान उनका शारीरिक अभ्यास भी हो जाता है। वहीं, तेल का दाम बढ़ जाने के कारण मिल में लगने वाली अधिक कुटाई का पैसा भी बच जाता है।

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