Friday, January 20, 2012

ड्रग्स का विकल्प बना कफ सीरप

अररिया : कफ सीरप तेजी से ड्रग्स का विकल्प बनता जा रहा है। शराब के महंगा होने और दुर्गध से बचने के लिए युवा वर्ग कफ सीरप की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कफ सिरप के अलावा युवा आजकल नशीली इंजेक्शन का प्रयोग भी धड़ल्ले से कर रहे हैं। इस संबंध में ड्रग इंसपेक्टर उदय वल्लभ ने बताया कि करीब एक दशक पूर्व नारकोटिक्स युक्त दवा की बिक्री पर रोक लगायी गयी थी। लेकिन दायर अपील पर सर्वोच्च न्यायालय ने बिक्री पर से प्रतिबंध हटा दिया।
हाल के चार वर्षो में जिस तरह से युवाओं में नशीली दवाओं का प्रचलन बढ़ा है,उससे व्यापारियों के भी बल्ले बल्ले हो रही है। एक थोक विक्रेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि नशा के तौर पर प्रयोग होने वाली दवा व सूई का प्रति माह 60 से 70 लाख का कारोबार हो गया है। इसमें लाखों की दवा तस्करी के माध्यम से नेपाल भी भेजी जा रही है। ज्ञात हो कि हाल के दिनों में सीमावर्ती क्षेत्र जोगबनी व फारबिसगंज में एसएसबी व पुलिस ने बड़ी मात्रा में तस्करी कर नेपाल ले जाते कफ सीरप पकड़ा है। बुधवार को एसपी शिवदीप लांडे ने भी एक किताब दुकान में छापेमार कर एक हजार से अधिक कफ सीरप की बोतलें व फोर्टवीन की सूई बरामद की है। खास बात यह है कि अपराधी भी अब कप सिरफ व सूई का प्रयोग नशा के लिये करने लगे हैं। हाल के दिनों में धराये अपराधियों ने यह खुलासा किया है कि मंहगी शराब से कहीं ज्यादा सिरप पीने में आनन्द आता है। करीब पंद्रह दिन पूर्व दारोगा की गाड़ी की डिक्की तोड़कर राशि गायब करने के आरोपी महिषाकोल पंचायत के शिक्षक ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया कि जब तक वह दवा का प्रयोग नहीं करता तब तक उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती है। करीब तीन बर्ष पूर्व वार्ड संख्या 23 निवासी समीम जोन का भतीजा को पुलिस ने एक मामले में पकड़ा तो उसके पूरे शरीर में नशीली इंजेक्शन का प्रभाव साफ देखा गया। सूत्रों के अनुसार शहर के एक चौथाई युवा ड्रग एडिक्ट हो गये हैं। शहर के किसी भी चाय व पान दुकानों के पीछे सैकड़ों की संख्या में कफ सिरप के बोतल एवं फोर्टवीन की खाली एम्पल आसानी से देखे जा सकते हैं। चांदनी चौक एवं पोस्ट आफिस के आस पास के कई चाय दुकानदारों ने बताया कि दुकान खुलते ही युवा आ धमकते हैं और ग्लास में सिरप उड़ेल कर गटागट पी जाते हैं। दुकान दारों ने बताया कि ऐसे लोगों को मना करने पर वे लोग मारपीट पर उतारू हो जाते हैं।
इधर युवाओं में बढ़ते ललक को देखते हुये शहर के लगभग सभी चौक चौराहों पर यह दवा आसानी से मिलने लगे हैं। थोक से लेकर खुदरा विक्रेता ज्यादा मुनाफा कमाने के लिये नियम विरूद्ध दवा बेच रहें हैं। इस संबंध में ड्रग इंसपेक्टर उदय वल्लभ ने बताया कि किसी भी परिस्थिति में दुकान दारों को कफ सिरप चिकित्सकों की पर्ची पर हीं वितरण करना है। इसके लिए उन्होंने बकायदा दुकानदारों को लिखित रूप से निर्देश भी दिया गया है। निरीक्षक भी ने माना है कि कई दुकानदार निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं।
वहीं कई अभिभावकों का मानना है कि कफ सिरप का प्रचलन चार बर्षो से काफी बढ़ गया है। ऐसे दवाओं के प्रयोग से युवाओं के भविष्य दांव पर लग रहे हैं। जो समाज व देश के लिए घातक है।

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