Friday, April 20, 2012

मैला आंचल की खासियत पर प्रदूषण ने लगाया ग्रहण


अररिया : नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे अररिया जिले की उत्तरी सीमा बर्फीली चोटियों से सजी हिमालय की नीली पहाड़ियों के लिए विख्यात रही है। इसे मैला आंचल की इलाकाई खासियत माना जाता था। लेकिन वायु प्रदूषण के कहर ने इस खूबसूरत विशेषता को निगल लिया है। अब पूरे साल में बारिश के मौसम के बाद ही यह सुंदर दृश्यावली नजर आती है। वहीं, बड़ी संख्या में कार्यरत ईट भट्ठों, होटलों व वाहनों की हर रोज बढ़ी तादाद ने भी इस अभिशाप में बढ़ोतरी की है।
हालांकि जिले में कई लोग ऐसे भी हैं, जो बिना किसी तामझाम के प्रदूषण व पर्यावरण को बचाने की मुहिम में साइलेंट वर्कर की तरह काम कर रहे हैं। द्विजदेनी चेतना मंच के संस्थापक विनोद कुमार तिवारी व उनकी टीम में शामिल व्यक्ति ऐसे ही लोगों में हैं, जो विगत डेढ़ दशक से अधिक समय से आम जन के बीच पर्यावरण जागरूकता व वायु प्रदूषण के दंश से मुक्ति दिलाने को काम कर रहे हैं। उन्होंने इस दौरान तीन सौ से अधिक गोष्ठियां, कार्यक्रम व अभियान आदि का संचालन किया है। वहीं द्विजदेनी चेतना समिति के सौजन्य प्रखंड के विभिन्न स्कूलों में वृक्षारोपण कार्यक्रम भी आयोजित किये गये हैं। पर्यावरण प्रेमी तमाल सेन के अनुसार ऐसे आयोजनों का सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
वृक्षों के लिए विख्यात रहे इस इलाके में लगातार पेड़ों की कटाई से न केवल यहां की हरियाली छिन गयी, बल्कि वायु प्रदूषण व पर्यावरण असंतुलन जैसे कुदरती प्रकोप का भी सामना करना पड़ा है।
बड़े बूढ़ों के अनुसार अतीत में अररिया जिले के गांवों से हिमालय की नीली पहाड़ियां व उनके टाप पर कंचन जंघा व एवरेस्ट आदि चोटियां साफ नजर आती थी। लेकिन सीमा के आरपार हजारों की संख्या खुली फैक्ट्रियों, चिमनी भट्ठों व वाहनों के प्रदूषण ने इस प्राकृतिक वरदान को समाप्त कर दिया है।
जानकारों की मानें तो वायु प्रदूषण केकारण वायुमंडल की स्वच्छता व दृश्यता बहुत कम हो गयी है। इसीलिए दूर की चीजें स्पष्ट नजर नहीं आती। वहीं, वायु प्रदूषण के कारण सांस जनित रोग भी लगातार बढ़ रहे हैं। युवा चिकित्सक डा. कुमार आनंद की मानें तो वायु प्रदूषण से सांस व एलर्जी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
इधर, द्विजदेनी चेतना समिति के अध्यक्ष संजीव विश्वास व सचिव मनोज तिवारी ने बताया कि वायु प्रदूषण का अभिशाप निवारण उनकी कार्यसूची में सबसे ऊपर रहा है। इस अभिशाप को हरियाली के अस्त्र से ही दूर किया जा सकता है। इसीलिए उनके संगठन ने वृक्षारोपण को अपना प्रमुख कार्यक्रम बना लिया है।
वहीं, समिति के संस्थापक विनोद तिवारी के अनुसार वृक्षारोपण कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने, जल सरंक्षण, मृदा सरंक्षण आदि में भी मदद मिल रही है। खास कर स्कूली बच्चे पर्यावरण सरंक्षण के प्रति खूब जागरूक हुए हैं। उन्होंने बताया कि उनका यह अभियान जिले की खोयी हरियाली वापस लाने तक चलता रहेगा।

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