अररिया : नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बसे अररिया में आज भी शिक्षा का घोर अभाव है। इस कमी को पाटने के लिए सरकारी व प्राइवेट स्कूल बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। पर इसके बदले निजी स्कूल प्रशासन अभिभावकों से ट्यूशन फीस व एडमिशन फीस के नाम पर उनकी जेब खाली करा देता है। कुछ मान्यता प्राप्त प्राप्त प्राइवेट स्कूल एडमीशन फीस के नाम पर 10 से 15 हजार की राशि वसूलते हैं। पर कागज पर आधा से भी कम दर्शाया जाता है। यही नही कुछ स्कूलों में तो राशि लेकर रसीद भी नही दी जा रही है।
कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा शिक्षा का अधिकार कानून की संवैधानिक दर्जा तो दे दिया गया, पर उस फैसले को अमलीजामा नहीं पहनाया जा रहा है। लिहाजा इसके शिकार गरीब अभिभावक हो रहे हैं।
अररिया जैसे छोटे शहर में भी स्कूलों के द्वारा नामांकन के वक्त 6 से सात हजार रुपया प्रत्येक वर्ष लिया जाता है, जो एक्ट के विपरीत है। इतना ही नही ट्यूशन शुल्क के नाम पर 300 रुपया से लेकर 800 रुपया लेना आर्थिक शोषण नही तो और क्या है? गर्ल्स आइडियल एकेडमी में आठवीं वर्ग तक के लिए नामांकन शुल्क दो हजार रुपया है, जो पहले नामांकन में ही लगता है। एकेडमी के डायरेक्टर एमए मुजीब के अनुसार उनके स्कूल में हर वर्ष नामांकन शुल्क लिया जाता है पर नियमित छात्रों के लिए मात्र 500 रुपया निर्धारित है। जबकि मासिक शुल्क दो सौ से तीन सौ पचास रुपया के बीच है। स्काटिश पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल कुमार अनूप ने बताया कि वर्ग आठ तक के लिए 1200 से 1600 रुपया नामांकन शुल्क व तीन सौ में 450 रुपया मासिक शुल्क है।
कैरियर गाइड एकेडमी के प्रो. रकीब अहमद के अनुसार उनके स्कूल में नामांकन शुल्क के नाम पर मात्र तीन सौ रुपया व मासिक शुल्क 150-300 के बीच है। कैरियर एकेडमी के प्राचार्य ज्योति कुमार मल्लिक की माने तो 800 रुपया पहली बार नामांकन शुल्क लिया जाता है। श्री मल्लिक के अनुसार एकेडमी में नियमित छात्रों से प्रत्येक वर्ष नामांकन शुल्क लेने का प्रावधान नही है। स्कूल में नर्सरी से वर्ग तीन तक 200 से 400 के बी व चार से वर्ग आठ तक 400 से 600 के बीच मासिक शुल्क लिया जाता है। मोहिनी देवी मेमोरियल स्कूल अररिया आरएस में 1500 रुपया नामांकन शुल्क है। यह जानकारी प्राचार्य डा. बीएन झा ने दी है।
इन सब विषयों से इतर शहर के अभिभावक राजेन्द्र साह ने बताया कि उनकी बच्ची शहर के एक नामी स्कूल में पढ़ती है। एक माह का फी देने में विलंब होने पर स्टूडेंट को खड़ा कर दिया जाता है। इससे उस बच्चे का मानसिक हालत खराब हो सकता है।
जबकि ब्रह्मादेव यादव की कहानी कुछ और ही है। इनका कहना है कि वे मजदूरी कर बच्चे को पढ़ा रहे हैं, लेकिन स्कूलों में हर वर्ष नामांकन शुल्क देना उनके बूते की बात नही है। इधर इस संबंध में तो जिला शिक्षा पदाधिकारी को कुछ जानकारी ही नही है। डीईओ राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि उन्हें कैपिटेशन फीस लेने के बारे में आज तक कोई शिकायत प्राप्त नही हुई है।
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