Friday, March 2, 2012

जीवन में सत्संगत बेहद जरूरी: चतुरांनद जी



पलासी (अररिया) : प्रखंड के डेहटी उत्तर पंचायत अंतर्गत मालद्वार गांव में संतमत सत्संग का आयोजन दो दिवसीय जिला वार्षिक अधिवेशन के प्रथम दिन शुक्रवार अपराह्न को आचार्य चतुरानंद जी महाराज ने जीवन में संगति के प्रभाव के मुद्दे पर उपस्थित श्रद्धालुओं को विस्तार पूर्वक जानकारी दी। इस क्रम में आचार्य श्री चतुरानंद जी महाराज ने कहा कि आप जैसा संगति करते हैं वैसा ही बुद्धि होगा। अब आपकों चयन करना है कि अच्छों से संग करें या बुरों से? सबसे बड़ा संत होता है। जिसका दूसरा नाम भगवान है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश है सकल संसार किंतु सबसे उपर है संत मुकुट सरदार। संत किसी भी रूप में हो सकता है। शाति का जो प्राप्त कर लिया वही संत है, जो वासना विकास से परे हो। शांति से ही परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है। अतएव हमेशा संतों का संग करें, जिससे आपका कल्याण होगा। इस क्रम में स्वामी वेदानंद जी महाराज, स्वामी योगानंद जी महाराज, ओमानंद जी महाराज, स्वामी गिरिजानंद जी महाराज ने भी संत पुरुषों के संग से संबंधित मुद्दों पर उपस्थित हजारों की भीड़ को विस्तृत जानकारी दी। वही इससे पूर्व उक्त वक्ताओं ने शुक्रवार पूर्वाह्न की सभा में भी सारगर्भित प्रवचन से लोगों को भक्ति के सागर में गोते लगाने को बाध्य किया। वहीं इस सत्संग को लेकर मालद्वार आने वाले प्रत्येक मार्गो में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गयी।

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