Tuesday, November 9, 2010

पहले प्रकृति का कहर अब नकली खाद व्यवसायियों की नजर

अररिया। प्रकृति की कोप के कारण किसानों की गरमा फसल पहले ही मार खा चुकी है अब रबी फसल की बोआई शुरू होते ही एक बार फिर रसायनिक खाद के काला बाजारियों व दो नंबरी धंधेबाज सीमांचल में सक्रिय हो गये हैं। फिर नकली खाद-बीज बाजारों में बेचने की साजिश चल रही है। वर्षा के अभाव में किसानों के धान की फसल मार खा गयी। जिन खेतों में धान के पौधे लगे भी उसमें दाना नहीं आया, जिस कारण किसान हताश हैं। धान की क्षतिपूर्ति के लिए किसान गेहूं और मक्का से आश लगाए बैठे हैं। लेकिन सूचना अनुसार खाद के दो नंबरी धंधेबाज एक बार फिर सीमांचल क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं।
नकली खाद बेचकर ये धंधेबाज लखपति बनने की फिराक में हैं तथा उनके निशाने पर यहां के गरीब किसान हैं। भारत-नेपाल की सीमा पर स्थित अररिया, फारबिसगंज व सीमावर्ती कई बाजारों से रसायनिक खादों की कालाबाजारी चर्चा में रही है। सीमा पर एसएसबी व पुलिस द्वारा गत वर्ष भी कालाबाजारी के लिए जाते लाखों के रसायनिक खाद पकड़े गए थे। बावजूद कालाबाजारी पर रोक नहीं लगाया जा सका है। लेकिन हाल में नकली खाद बाजार में आने की सूचना से किसान पशोपेस में है। अररिया-पूर्णिया जिला की सीमा पर पूर्णिया पुलिस ने कुछ दिनों पूर्व ही नकली खाद बनाने की एक बड़ी फैक्ट्री का उद्भेदन किया है। बायसी के पास इस फैक्ट्री में मिट्टी व रसायन मिलाकर नकली खाद तैयार किए जाते थे तथा उसे पूर्णिया के अलावा अररिया व फारबिसगंज में भेजे जाते थे। पुलिस फिलहाल जांच में जुटी है कि इस नकली खाद फैक्ट्री के संचालक के तार किस-किस से जुड़े हुए हैं।
ज्ञात हो कि गेहूं, मक्का व आलू की बोआई का समय लगभग एक साथ शुरू हो गया है। किसान बोआई की तैयारी में जुटे हुए हैं लेकिन शुरूआत में ही अररिया के खाद दुकानों पर से आवश्यक रसायनिक खाद नदारद हो गए हैं। किसानों को ब्रांडेड कंपनी के डीएपी और पोटाश खाद नहीं मिल पा रहा है, सो खाद के लिए मारमारी शुरू हो गयी है। लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक कोई एहतियाती कदम नहीं उठाया जा सका है। जानकार आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि खाद दुकानदारों द्वारा जानबूझकर बाजार से ऐसे खाद को गायब कर दिया गया है ताकि बाद में उसकी कालाबाजारी की जा सके। खाद की किल्लत के कारण बाद में खाद के दो नंबरी व्यापारियों द्वारा नकली खाद की बिक्री किए जाने की योजना जानकारी सूत्रों ने दी है। हालांकि इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी के जिला मुख्यालय से बाहर होने के कारण उनसे संपर्क नहीं हो पाया है, लेकिन खाद के दो नंबरी धंधेबाजों पर लगाम लगाने की आवश्यकता है।

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