Sunday, November 7, 2010

बनकोड़ा की आधी आबादी ने उठाया श्वेत क्रांति का बीड़ा

अररिया। समाज के बदलते आर्थिक परिदृश्य में शहरी महिलाओं के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं भी शिक्षा, व्यवसाय की दिशा में आगे बढ़ रही है जो ग्रामीण अर्थ व्यवस्था के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती नजर आ रही है। जोकीहाट प्रखंड क्षेत्र में महिलाएं दुग्ध उत्पादन एवं पशुपालन कर पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर अर्थोपार्जन कर रही है। पथराबाड़ी पंचायत के बनकोड़ा में महिलाओं की एक टीम ने ज्योति महिला सेल्फ हेल्प गु्रप बनाकर स्थानीय उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक शाखा जोकीहाट से ऋण लेकर दुग्ध उत्पादन कर परिवार का भरण-पोषण कर रही है। सहेली एवं उजाला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से दर्जनों महिलाएं जोकीहाट बाजार में दुग्ध उत्पादन कर परिवार के विकास में योगदान तो कर ही रही है साथ-साथ समाज एवं गांव की कई महिलाओं को इस दिशा में प्रोत्साहित भी कर रही है।
बैंक के शाखा प्रबंधक मो. एहसानुल इस्लाम ने बताया कि महिलाएं-पुरुषों की अपेक्षा बैंक ऋण चुकाने में अधिक संवेदनशील होती है। श्री इस्लाम ने बताया कि ये महिलाएं आज दुग्ध उत्पादन कर काफी मुनाफा कमा रही है तथा बैंक ऋण भी समयानुसार अदा कर रही है।
उक्त सहायता समूह के सचिव कल्पना देवी एवं बानो खातून ने बताया कि दुग्ध उत्पादन ग्रामीण महिलाओं के लिए उपयुक्त पेशा है। आप घर के चारदीवारी के अंदर भी दुग्ध उत्पादन पशुपालन कर सकती हैं। बाहर जाने की हमें कोई जरूरत नहीं पड़ती है। बाजार में दुग्ध की कमी से लोग दूर-दूर से गांवों से दूध एवं दुग्ध पदार्थ खरीदते हैं। दूध की मांग हमेशा उत्पादन से अधिक होती है। इसलिए हमें दूध बेचने की चिंता नहीं रहती है। कल्पना देवी ने बताया कि आर्थिक तंगी से परिवार में तनाव बढ़ता है। पुरुष प्रधान समाज में महिलाएं अर्थोपार्जन की दिशा में अब भी आगे नही बढ़ेगी तो औरत और कमजोर पड़ जायेगी। प्रखंड क्षेत्र के चकई, केसर्रा, बागनगर, महलगांव, सिसौना, काकन, तारण, डूबा आदि पंचायत में सैकड़ों महिलाएं पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन कर पारिवारिक अर्थ व्यवस्था को मजबूती देने में सराहनीय भूमिका निभा रही है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी अभिनन्दन सिंह ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण परती भूमि की कमी यहां नहीं रहती है, जिससे पशुओं को प्रचुर मात्रा में चारा नहीं मिल पाता है। बुद्धिजीवियों का कहना है कि सरकार इस दिशा में और भी सहयोग करे तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तीव्र गति से विकास हो सकता है।

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