Thursday, November 17, 2011

दिघली: नहीं हो पाया अपराधियों का समर्पण

पलासी (अररिया) : प्रखंड मुख्यालय से महज 6 किमी उत्तर दिशा में स्थित दिघली पंचायत इक्कीसवीं सदी में भी विकास की रोशनी से कोसो दूर है। पूर्व में कथित मिनी चंबल के नाम से जाना जाने वाला यह पंचायत आजादी के 64 वर्ष पश्चात भी जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक उदासीनता के कारण मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब दस हजार की आबादी वाले दिघली पंचायत को शिक्षा के नाम पर प्राथमिक व मध्य विद्यालय उपलब्ध है। लेकिन यहां के छात्रों को उच्च शिक्षा हेतु पलासी व कलियागंज जाना पड़ता है। स्वास्थ्य व्यवस्था नगण्य है। सड़क के नाम पर एक मात्र मुख्य पक्की सड़क झाला-पलासी उपलब्ध है। बर्षात के मौसम में एक टोले से दूसरे टोले तक जाने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है। बिजली के मामले में पंचायत के लोगों को बिजली के खंभे के दर्शन जरूर होते है। पेयजल के मामलों में चापाकल के लौहयुक्त जल पीना पड़ता है। रोजगार के अभाव में पंचायत की अधिकांश आबादी दिल्ली, मुंबई, पंजाब व अन्य राच्यों में जाकर दो जून की रोटी का जुगाड़ करने को मजबूर है। वहीं इस पंचायत के दर्जनों अपराधियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने हेतु 2007 ई. में तत्कालीन थानाध्यक्ष एमपी सिंह द्वारा पहल की गयी थी। किंतु विधिवत आत्म समर्पण करवाया जाता इससे पूर्व ही उनका तबादला हो गया। तत्पश्चात कई थानाध्यक्ष आये-गये, कुछ वैधानिक अड़चने व प्रशासनिक उदासीनता के कारण उक्त पंचायत सहित आसपास के दर्जनों अपराधियों का विधिवत आत्म समर्पण अब तक नही हो पाया।

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