Sunday, February 26, 2012

मैला आंचल में रुकी विकास की रेल


फारबिसगंज(अररिया) : मैला आंचल में विस्तार की तमाम संभावना के बावजूद विकास की रेल यहां रुकी पड़ी है। सवा सौ साल पहले इलाके में पहली रेल लाइन बिछाई गयी थी, लेकिन तब से अब तक यहां रेल लाइन की लंबाई बढ़ने के बजाय घटती ही गयी है। यह बात अलग है कि क्षेत्र के लोगों को रेल विस्तार का राजनीतिक झुनझुना जरूर पकड़ाया गया है।
इस दौरान रेल विभग ने इलाके में कई परियोजनाओं की घोषणा की, कुछ पर सर्वे कार्य भी हुआ तो दो का शिलान्यास भी हुआ, लेकिन बात उससे आगे नहीं बढ़ी।
सत्तर के दशक में जब तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र ने अपनी पहल पर फारबिसगंज से सहरसा मीटरगेज रेल लाईन चालू करवाया तब बथनाहा से भीमनगर वाया करजाइन उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था। लेकिन उनकी असामयिक मृत्यु के पश्चात इन परियोजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
हालांकि बथनाहा भीमनगर लाइन विस्तारीकरण को लेकर सर्वे का कार्य भी हुआ था, लेकिन बाद में रेल मंत्रियों की अनदेखी एवं क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये के कारण वह किसी मुकाम तक नहीं पहुंच पाया। उल्टे यह लाइन ही समाप्त कर दी गयी। आज केवल इसके अवशेष नजर आते हैं। ललित बाबू ने फारबिसगंज से गलगलिया वाया ठाकुरगंज रेल लाइन का सर्वेक्षण भी करवाया था, लेकिन इस लाइन पर कार्य शुरू भी नहीं हो पाया।
इसी तरह राम विलास पासवान के रेल मंत्रित्व काल में अररिया से गलगलिया रेल लाइन का सर्वेक्षण हुआ। लेकिन परियोजना के निर्माण की स्वीकृति नहीं मिली। बाद में लालू यादव के रेल मंत्रित्व काल में इस प्रोजेक्ट के अलावा अररिया रानीगंज त्रिवेणीगंज सुपौल लाइन का शिलान्यास किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में साफ कहा था कि यह प्रोजेक्ट रेल मंत्रालय द्वारा स्वीकृत है, लेकिन उनके हटते ही यह परियोजना भी ठंडे बस्ते में चली गयी। जानकार यह मानते हैं कि अगर ललित बाबू की परिकल्पना के अनुरूप फारबिसगंज से खवासपुर होते हुए ठाकुरगंज तक रेल लाइन विस्तारीकरण किया जाता तो कोसी पर वर्ष 2013 में रेल महासेतु के चालू होने के उपरांत पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ वाया फारबिसगंज दरभंगा दिल्ली तक एक वैकल्पिक रेल मार्ग उपलब्ध हो जाता। जो न सिर्फ यात्री हित में बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण साबित होता।
क्षेत्र में रेल विस्तारीकरण योजना के तहत यदि सर्वे की बात की जाये तो जानकार सूत्रों के अनुसार फारबिसगंज से वाया शंकरपुर, बनमनखी, अररिया, ठाकुरगंज, गलगलिया एवं अररिया रानीगंज सुपौल रेल मार्गो का सर्वे का कार्य बरसों पूर्व किया गया।
फारबिसगंज शंकरपुर बनमनखी प्रस्तावित रेल मार्ग का भी यही हाल है।
जहां तक घोषित योजनाओं को मूर्तरूप देने का सवाल है तो वह बथनाहा से पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के विराटनगर तक 18 किमी रेलवे लाइन ही है। जिस पर कार्य जारी है तथा 2014 तक इस मार्ग पर ट्रेन चलने का दावा विभाग द्वारा किया गया है। उल्लेखनीय है कि इस योजना के 5 किमी क्षेत्र भारत में है जबकि 8 किमी नेपाल अंतर्गत है। हालांकि इन सबके बावजूद सीमावर्ती क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों की नजरें दिन बाद पेश होने वाले रेल बजट पर जरूर टिकी हैं।

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