Sunday, November 13, 2011

गोष्ठी में याद किए गए मुक्तिबोध व रामकृष्ण


फारबिसगंज (अररिया) : इंद्रधनुष साहित्य परिषद के तत्वावधान में रविवार को साप्ताहिक साहित्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें गजानन माधव मुक्तिबोध तथा रामकृष्ण दास की जयंती मनायी गयी। समारोह की अध्यक्षता प्रअ जगत नारायण दास ने की।
मौके पर श्री दास ने कहा कि मुक्तिबोध प्रगतिशील कवि के रूप में प्रसिद्ध थे। वहीं हेमंत यादव शशि ने बताया कि चांद का मुंह टेढ़ा है उनकी लोकप्रिय कृति है। मुक्तिबोध ने दिनकर की उर्वशी, जयशंकर प्रसाद की कामायनी सहित कई अन्य कृतियों पर समीक्षाएं भी लिखी।
वहीं मांगन मिश्र मार्तड ने रामकृष्ण दास के बारे में कहा कि वे मुंशी प्रेमचंद्र के समकालीन साहित्यकार थे और चित्रकला, मूर्तिकला के ज्ञानी व संग्रही थे। साहित्य में उनकी गहरी पैठ थी। एमएस आलम ने बताया कि भारत कला भवन की स्थापना के बाद श्री दास को विश्वव्यापी प्रसिद्धि प्राप्त हुई। साधना और सुधांशु उनकी प्रसिद्ध कहानी संग्रह है। कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालक विनोद कुमार तिवारी ने कहा कि भारत की मूर्तिकला और भारतीय चित्रकला उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें है, जो कि भारतीय कला का बीज ग्रंथ है। मौके पर देवकला देवी, अशोक सिंह, विनोद दास आदि उपस्थित थे।

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