Sunday, June 12, 2011

गतिरोध:बैलगाड़ी की रफ्तार बन गयी ट्रैफिक का मानक


-शहर में मात्र एक ट्रैफिक पोस्ट, वाहन पार्किग की कोई व्यवस्था नहीं
-सड़कों पर ही खड़े रहते है वाहन व रिक्शा
-ट्रैफिक की बदहाली में सुधार के प्रयास नगण्य
अररिया: तकरीबन एक लाख की आबादी वाले अररिया शहर में ट्रैफिक की रफ्तार का मानक बैलगाड़ी है। आप भले ही सुपर लग्जरी गाड़ियों में चलिए, स्पीड बैलगाड़ी की ही रखनी होगी। क्योंकि इस शहर की सारी प्रमुख सड़कों पर बालू मिट्टी ढोने वाली बैल व पाड़ा गाड़ियों, आवारा मवेशियों व बेढंग तरीके से चलने वालों का राज है।
ट्रैफिक की अराजकता में सुधार के प्रयास नगण्य-
विगत दो दशक में जिले के सभी शहरों की आबादी बेतहाशा बढ़ी है। लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारु बनाने की कोई कोशिश हीं की गई है। हालांकि इन दिनों जिला मुख्यालय स्थित एकाध चौराहों पर नीली सफेद वर्दी वाले ट्रैफिक पुलिस बल जरूर नजर आने लगे हैं। लेकिन वे नाकाफी हैं।
बेलगाम तथा नियंत्रणविहीन ट्रैफिक के कारण आमजन को होने वाली दिक्कत का अनुमान सहज लगाया जा सकता है।
ट्रैफिक व्यवस्था का पूरा परिदृश्य बदहाल-
अररिया जिले में ट्रैफिक व्यवस्था का पूरा परिदृश्य अराजक स्थिति का शिकार है। अतिक्रमण के कारण हालात और भी गंभीर है। पीक आवर में सड़कों पर गाय बैल का अड्डा, बैलगाड़ी, टमटम, ठेला व पैदल यात्रियों की रोड छेकू जमात। इन मनबढ़ू लोगों को जरा टोक कर तो देखिए। ..हमको जैसे मन होगा, चलेंगे,आप ही का रोड है? प्रशासन को इनसे कोई मतलब नहीं। उनकी ओर से ट्रैफि क पर नजर रखने वाला कोई नहीं।
जिले के तीनों शहरों में बदहाल है ट्रैफिक सिस्टम-
जिला मुख्यालय, फारबिसगंज अनुमंडल मुख्यालय या फिर सीमावर्ती शहर जोगबनी में ट्रैफिक परिदृश्य पर गौर करे तो यातायात व्यवस्था की बदहाली सहज सामने आती है। हालात बेहद खराब है। सड़कों पर जहां मन तहां खड़े रिक्शा-ठेला.., उन्हे टोकने वाला भी कोई नहीं। लोग करे तो क्या? बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था ने कई लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। फारबिसगंज में वाहन पड़ाव बना है, लेकिन प्रशासन वाहनों को वहां पार्क करवाने में अब तक विफल ही रहा है।
फारबिसगंज व जोगबनी में हरवक्त जाम जैसी स्थिति-
फारबिसगंज व जोगबनी में हर हमेशा जाम जैसी स्थिति रहती है। जोगबनी चले जाइये तो अंतर्राष्ट्रीय सीमा से दो तीन किमी दक्षिण तक वाहनों खास कर ट्रक की कतार लगी मिलेगी। आखिर, प्रशासन इस समस्या का निदान क्यों नहीं खोज पाया है? दक्षिण महेश्वरी में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के लिये जमीन अर्जित की हुई है। अगर इसका निर्माण हो गया रहता तो सड़क पर वाहनों की जानलेवा पार्किग से बचा जा सकता था। इन तीन शहरों के अलावा रानीगंज, नरपतगंज, जोकीहाट, कुर्साकाटा, पलासी सहित अन्य ग्रामीण बाजारों में भी यातायात व्यवस्था अराजक व बदहाल बनी हुई है।
नहीं दी जाती आमजन को सड़क सुरक्षा की जानकारी-
आम आदमी को सड़क सुरक्षा, ट्रैफिक नियमों तथा यातायात सिगन्लों की जानकारी देने के मामले में जिला प्रशासन कोई कार्रवाई करता नहीं दिख रहा है। खासकर ट्रैफिक नियमों से बेपरवाह ग्रामीण आबादी को जागरूक बनाने के उपाय तो बिल्कुल ही नहीं हुए है।
शहर में पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं-
अररिया सहित जिले के किसी भी शहर में पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि जिला मुख्यालय स्थित दोनों बस पड़ाव सड़क ही जमीन पर हैं।
शहर के अंदर बाजार के कार्यो से आने वाले लोग अपने वाहनों की पार्किंग कहां करें? इस संबंध में नगर परिषद व प्रशासन किसी का कोई ध्यान नहीं। नप ने ठीक अपने कार्यालय के सामने टेंपू पड़ाव बना दिया है। आने जाने वालों को इससे क्या दिक्कत होती होगी, नप के अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं।

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