Friday, June 17, 2011

चार बार निकला टेंडर, किसी ने नहीं भरी निविदा


-अररिया: पुल नहीं बनने से ग्रामीण संपर्किता बाधित
-पुल नहीं बनने से प्रग्रासयो पथ हुए बेकार
अररिया : पूरे मामले में दोषी कौन है, इसका पता तो सरकार लगावे,
लेकिन एक बात साफ है कि प्रग्रासयो पथों पर पुल बनाने के नाम पर नागरिकों के साथ भद्दा मजाक हो रहा है। जिले की कई प्रमुख सड़कों पर स्थित 22 महत्वपूर्ण जगहों पर पुल नहीं बनने के कारण ग्रामीण संपर्किता का सपना टूट रहा है। पुल निर्माण के लिए टेंडर निकलता है लेकिन कोई संवेदक निविदा नहीं डालता। इन पुलों में सामरिक महत्व वाला तिरसुलिया घट पुल भी शामिल है।
जानकारी के मुताबिक प्रस्तावित तिरसुलिया घाट पुल के दानों तरफ रोड बन कर तैयार है। पुल बनाने के लिए कम से कम चार बार टेंडर निकल चुका है, लेकिन किसी ठेकेदार ने काम नहीं लिया। घोर आश्चर्य! जो ठेकेदार काम के लिए नेताओं से पैरवी तक करवाते हैं, वहीं पुल बनाने के लिए टेंडर क्यों नहीं डाल रहे?
जिले में प्रधानमंत्री ग्राम्य सड़क योजना के कार्यो को अंजाम दे रही कार्यकारी एजेंसी एनबीसीसी के डीजीएम एसके त्रिपाठी के अनुसार टेंडर में वर्णित दर छह सात साल पुरानी है।
उस दर पर निर्माण सामग्री अब नहीं मिलती। लिहाजा पुराने दर पर टेंडर भरने कोई नहीं आता। अगर हम रेट रिवाइज करेंगे तो पैसा कौन देगा? ऐसे में सवाल यह कि जब दर ठीक थी तो एनबीसीसी ने टेंडर क्यों नहीं निकाला था?
जिन महत्वपूर्ण स्थानों पर पुल बनाये जाने हैं उनमें तिरसुलिया घाट पर दो, मोगरा घाट, खाता घाट, डोमरा रोड पर परमान नदी पुल, कपरफोड़ा में भलुआ नदी पर पुल के अलावा एबीएम सिकटी पथ के सात आठ पुल भी शामिल हैं।
डीजीएम त्रिपाठी के मुताबिक मामले को लेकर बिहार सरकार के विभागीय सचिव को कई बार पत्र लिखा गया है।
इसके अलावा बाढ़ में टूटी सड़कों की मरम्मत भी नहीं की जा रही है। पैकेज नं. 7 बाढ़ में टूट गया, लेकिन अब तक नहीं बना। इस संबंध में चीफ इंजीनियर जनक राम ने प्राक्कलन मांगा था, लेकिन..। श्री त्रिपाठी के मुताबिक यह कार्य जिला के आपदा प्रबंधन विभाग को देखना है। फिर एक सवाल यह कि जब प्रधानमंत्री ग्राम्य सड़क योजना की सड़के उच्चतम बाढ़ स्तर को ध्यान में रखते हुए उससे ऊपर के लेवल में बनायी जानी हैं तो फिर बाढ़ का पानी सड़क को ओवरटाप कैसे कर जाता है?

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