अररिया। घरेलू हिंसा शारीरिक यौन व मनोवैज्ञानिक दुरुपयोग है। जो किसी के पति या पत्नी, भागीदार या गृहस्थी के अधीन अन्य पारिवारिक सदस्यों के बीच होता है। घरेलू हिंसा तब होती है जब परिवार का सदस्य शारीरिक व मनोवैज्ञानिक रूप से अन्य को अधिशासित करने का प्रयत्न करता है। घरेलू हिंसा में मुख्य रूप से शारीरिक हिंसा, यौन हिंसा, यौन दुराचार, मनोवैज्ञानिक हिंसा, आर्थिक दुरुपयोग व अध्यात्मिक कारणों से होता है। अररिया जिला में महिलाएं बड़ी संख्या में घरेलू हिंसा की शिकार हो रही है। इस जिले में मुख्य रूप से दहेज, मारपीट, बलात्कार, पत्नी के रहते दूसरी शादी व संपत्ति में भागीदारी को लेकर महिलाओं पर अत्याचार का मामला बड़े पैमाने पर हो रहा है। साथ ही बाल महिलाएं (दाई व नौकरानी) पर यौन शोषण का भी मामला प्रकाश में आते रहता है। गरीबी व अशिक्षा के कारण लाचार व बेबस अभिभावक परिवार चलाने के लिए कम उम्र की बच्चियों को भी दाई के रूप में काम करवाते हैं जिनका शारीरिक यौन शोषण शुरू हो जाता है।
घरेलू हिंसा के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण पलायन भी है। पहले केवल युवा वर्ग ही रोजगार की तलाश में पलायन करते थे लेकिन आज गरीबी के कारण सपरिवार भी पलायन हो रहा है, जिस कारण वहां उनके परिवार का शोषण भी किसी न किसी रूप में होता है। दूसरी ओर जो परिवार छोड़कर जाते हैं वो अपने घर में भी किसी न किसी रूप में घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं। अररिया जिले में घरेलू हिंसा के मामले बड़ी संख्या में सामने आए हैं। इसी कारण न्यायालय में दहेज, मारपीट, प्रताड़ना, दूसरा विवाह, यौन शोषण के मामले बड़ी संख्या में रोजाना आते हैं। इस संबंध में अधिवक्ता सदरे आलम ने बताया कि घरेलू हिंसा में पीड़ित महिलाओं का केश अररिया में बहुत ज्यादा हो रहा है। यही कारण है कि सैकड़ों महिलाएं न्याय प्राप्त करने के लिए कचहरी में चक्कर लगाती रहती है। 2005 के अधिनियम के अनुसार घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हर जिले में महिला संरक्षण अधिकारी की नियुक्ति होती है, लेकिन बिहार के किसी भी जिला में इसकी नियुक्ति नहीं हुई है। तत्काल महिला हेल्प लाइन की परियोजना प्रबंधक ही महिला संरक्षण पदाधिकारी के रुप में प्रतिनियुक्त हैं। अररिया में पिछले छह माह से परियोजना प्रबंधक नहीं है। इसलिए प्रभार में हेल्प लाइन से जुड़ी गीता कुमारी कार्य देख रही हैं।
गीता कुमारी ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में महिला हेल्प लाइन में अब तक 255 मामले आए हैं, जिसमें दहेज प्रताड़ना, मारपीट, तलाक, यौन शोषण, बलात्कार, ट्रैफिकिंग आदि के हैं। उन्होंने बताया कि लगभग डेढ़ सौ मामले को दोनों पक्षों के बीच सुलह कराकर समाप्त करा दिया गया है। उन्होंने बताया कि अररिया का महिला हेल्प लाइन कई समस्याओं से जूझ रहा है। यहां एक प्रबंधक, एक महिला व एक पुरुष काउंसलर, तीन अधिवक्ता व एक आदेश पाल होना चाहिए। लेकिन एक प्रभारी गीता कुमारी व एक अधिवक्ता रुपेश कुमार के सहारे ये किसी तरह चल रहा है। इन्हें भी कई माह से मानदेय भुगतान नहीं हुआ है। जिले में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला के लिए 2006 से सौर्ट स्टे होम बना हुआ है। सौर्ट स्टे होम की संचालिका रत्नमाला ने बताया कि घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला जिनका कोई आश्रय नहीं है उसे यहां रखा जाता है। साथ ही उन्होंने बताया कि घरेलू हिंसा रोकने के लिए सख्त से सख्त कानून बना एवं उसको लेकर प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है। साथ ही स्कूलों में बालिकाओं के घरेलू हिंसा के संबंध में पूरी जानकारी एवं इस केलिए बने कानून की जानकारी समय की जरूरत बन गयी है। महिला हिंसा सहती है मगर अशिक्षा व निर्धनता के कारण इंसाफ नहीं ले पाती है।
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