अररिया। काफी कोशिशों के बाद भी सीमावर्ती इस पिछड़े इलाके में एड्स का प्रसार रूकने का नाम नहीं ले रहा है। नाको के ग्रेड ए में शामिल जिला अररिया में एड्स को ले जागरूकता अभियान के तहत सरकारी व कई गैर सरकारी संगठन कार्य कर रहे हैं। बावजूद एडस रोगियों की संख्या यहां लगातार बढ़ रही है। जिससे सरकार व स्वयंसेवी संस्थाओं के माथे पर चिंता की लकीरें पड़नी शुरू हो गयी है। एड्स मरीजों के बढ़ रही संख्या के मद्देनजर नाको और बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी ने यहां एक बड़ी परियोजना शुरू करने का निर्णय लिया है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते अगस्त माह में जिले में फिर आठ एचआईवी संक्रमित रोगियों की पहचान की गयी है। इसके साथ ही अररिया जिला में एड्स रोगियों की संख्या बढ़कर 115 हो गयी है। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी धनुषधारी सिंह ने गुरुवार को बताया कि उक्त रोग की रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही ऐसे रोगियों की पहचान के लिए भी सतत प्रयास किए जा रहे हैं ताकि उन्हें समुचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने बताया कि हाल ही में अस्पताल में एक एड्स पीड़ित महिला का सुरक्षित प्रसव कराया गया है।
ज्ञात हो कि बिहार में एड्स रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खासकर भारत-नेपाल सीमा पर स्थित अररिया में एचआईवी पाजिटिव की संख्या सैकड़ा पार कर गयी है। जबकि इस जिले में कई सरकारी व गैर सरकारी संगठन जागरूकता अभियान चला रहे हैं।
सीएस डी प्रसाद की माने तो जिले में एड्स रोगियों की पहचान के लिए व्यापक अभियान चलाए जा रहे हैं। सीएस के अनुसार जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में आउट डोर सेवा प्रारंभ की गयी है। अस्पतालों में बंध्याकरण व प्रसव कराने आने वाली महिलाओं की एचआईवी जांच करायी जाती है। इसके अलावा निजी क्लीनिकों के चिकित्सकों को भी एचआईवी जांच के लिए निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिले में बढ़ते एड्स रोगियों की संख्या को देखते हुए ही यहां पूर्व से ही लिंक वर्कर परियोजना भी चलाई जा रही है। जो समाज में जागरूकता के अलावा एड्स रोगियों को दवा-सलाह व समुचित स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध कराते हैं। जिले में लिंक एआरटी सेंटर भी कार्यरत है जहां एचआईवी संक्रमित लोगों को दवा व समुचित सलाह आदि दी जाती है। उक्त सेंटर पर मरीजों का काउंसिलिंग और टेस्टिंग भी किया जाता है।
मिली जानकारी के अनुसार लिंक एआरटी सेंटर पर गत अगस्त माह तक कुल 1254 लोगों की काउंसिलिंग की गयी थी। साथ ही 1088 का टेस्िटग भी किया गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार सीमांचल से बड़ी संख्या में लोग रोजगार के लिए अन्य प्रांतों में जाते हैं जहां सौगात में उन्हें एड्स मिल रहा है। हालांकि इस की रोकथाम के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं, बावजूद मरीजों की बढ़ रही संख्या निश्चित रूप से चिंता का विषय है।
ज्ञात हो कि बिहार में एड्स रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खासकर भारत-नेपाल सीमा पर स्थित अररिया में एचआईवी पाजिटिव की संख्या सैकड़ा पार कर गयी है। जबकि इस जिले में कई सरकारी व गैर सरकारी संगठन जागरूकता अभियान चला रहे हैं।
सीएस डी प्रसाद की माने तो जिले में एड्स रोगियों की पहचान के लिए व्यापक अभियान चलाए जा रहे हैं। सीएस के अनुसार जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में आउट डोर सेवा प्रारंभ की गयी है। अस्पतालों में बंध्याकरण व प्रसव कराने आने वाली महिलाओं की एचआईवी जांच करायी जाती है। इसके अलावा निजी क्लीनिकों के चिकित्सकों को भी एचआईवी जांच के लिए निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिले में बढ़ते एड्स रोगियों की संख्या को देखते हुए ही यहां पूर्व से ही लिंक वर्कर परियोजना भी चलाई जा रही है। जो समाज में जागरूकता के अलावा एड्स रोगियों को दवा-सलाह व समुचित स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध कराते हैं। जिले में लिंक एआरटी सेंटर भी कार्यरत है जहां एचआईवी संक्रमित लोगों को दवा व समुचित सलाह आदि दी जाती है। उक्त सेंटर पर मरीजों का काउंसिलिंग और टेस्टिंग भी किया जाता है।
मिली जानकारी के अनुसार लिंक एआरटी सेंटर पर गत अगस्त माह तक कुल 1254 लोगों की काउंसिलिंग की गयी थी। साथ ही 1088 का टेस्िटग भी किया गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार सीमांचल से बड़ी संख्या में लोग रोजगार के लिए अन्य प्रांतों में जाते हैं जहां सौगात में उन्हें एड्स मिल रहा है। हालांकि इस की रोकथाम के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं, बावजूद मरीजों की बढ़ रही संख्या निश्चित रूप से चिंता का विषय है।
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