अररिया। इन दिनों नकली दवा बनाने वाली कंपनियों के मेगा गिफ्ट आफरों से डाक्टरों की चांदी कट रही है। वहीं मरीज बुरी तरह आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं तथा जान तक से हाथ धो रहे हैं। इस संबंध में पूछे जाने पर ड्रग इंस्पेक्टर विश्वजीत द्वास गुप्ता ने गुरुवार को बताया कि कई बार छापेमारी की गई है। नकली दवा बेचने के आरोप में भरगामा व फारबिसगंज में दो लोगों के विरूद्ध कार्रवाई भी की गयी है। गड़बड़ी की सूचना मिलने पर फौरन कार्रवाई की जाती है। लेकिन अब तक सिर्फ दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई होना दावों की पोल स्वत: खोलता है। छोटी-छोटी फर्जी दवा कंपनियां बड़े-बड़े दवा कंपनी के नाम से अपना प्रोडक्ट तैयार कर धड़ल्ले से बाजार में बेच रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इस धंधे में एक जबर्दस्त नेटवर्क काम कर रहा है। दवा कंपनियां एजेंट के माध्यम से चिकित्सक को अच्छा प्रलोभन देकर अपनी दवा लिखने के लिए आकर्षित कर लेते हैं। गावों से लेकर शहरों तक में अवैध डिग्री धारी व गुप्त रूप से इलाज करने वाले चिकित्सक तथा कथित स्वास्थ्यकर्मी भी इस काम में पूरी तरह संलिप्त हैं। लोभ में ये चिकित्सक यह भी भूल जाते हैं कि लोग उन्हें भगवान का दूसरा रूप समझते हैं। गांव-हाट के दवा दुकानदार व ग्रामीण चिकित्सक के अलावा अवैध रूप से नर्सिग होम चला रहे लोगों की भी इस धंधे से चांदी कट रही है।
सूत्र बताते हैं कि ऐसी दवा लिखने के लिए कंपनी एमआर के द्वारा डाक्टरों को कार, टीवी, फ्रीज, वाशिंग मशीन जैसे कीमती उपहार देते हैं। उक्त दवा से मरीजों को ठीक होने के बजाए उन्हें मौत के मुंह में धकेल दिया जाता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि सब कुछ प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के सामने हो रहा है, लेकिन मानो सब कुछ जानकर भी वे अनजान बने हुए हैं।
सूत्र बताते हैं कि ऐसी दवा लिखने के लिए कंपनी एमआर के द्वारा डाक्टरों को कार, टीवी, फ्रीज, वाशिंग मशीन जैसे कीमती उपहार देते हैं। उक्त दवा से मरीजों को ठीक होने के बजाए उन्हें मौत के मुंह में धकेल दिया जाता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि सब कुछ प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के सामने हो रहा है, लेकिन मानो सब कुछ जानकर भी वे अनजान बने हुए हैं।
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