Friday, October 29, 2010

घोटालेबाज अफसरों पर बढ़ा पुलिस का शिकंजा

अररिया। इंदिरा आवास राशि के लुटेरे अधिकारियों के खिलाफ पुलिस शिकंजा कसता जा रहा है। इसी के साथ ही अधिकारियों के काले कारनामों का काला चिट्ठा भी धीरे-धीरे खुलने लगा है। इंदिरा आवास की आठ करोड़ राशि गबन के मामले में आरोपित अररिया के तत्कालीन डीएम अमरेन्द्र नारायण सिंह, डीडीसी बाल्मीकि प्रसाद, डीआरडीए के कार्यपालक अभियंता दीपक कुमार सहित सात अन्य कर्मियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई शुरू हो गयी है। अररिया पुलिस ने गुरुवार की रात पूर्व डीएम अमरेन्द्र नारायण सिंह के पैतृक गांव बरूआरी और सहरसा के गंगजला स्थित आवास पर छापामारी की। छापामारी दल का नेतृत्व अररिया के पुलिस इंस्पेक्टर के अनिल कुमार कर रहे थे। पुलिस पहुंचने से पूर्व ही वे अपने घरों में ताला लगाकर फरार हो चुके थे। इसलिए पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। लेकिन पुलिस उक्त आरोपी अधिकारियों के ठिकानों का पता लगाने में जुट गई है।
लेकिन धीरे-धीरे इंदिरा आवास के इस घोटाला पर से पर्दा उठने लगा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक उच्च स्तरीय षडयंत्र के तहत गरीबों के आवास के लिए आईएम बड़ी राशि का बंदरबांट किया गया। तत्कालीन डीएम अमरेन्द्र नारायण सिंह ने पूर्व में राशि वितरण की व्यवस्था को ही बदल दिया। डीएम के निर्देश पर तत्कालीन डीडीसी बाल्मीकि सिंह ने पूरी राशि एक को ही सौंप दिया गया और उन्हीं के माध्यम से लाभुक को भी बांटने का भार दे दिया गया। सारी राशि कार्यपालक अभियंता दीपक कुमार के नाम से निर्गत कर दिया गया। दीपक कुमार को ही संबंधित लाभुकों को सीधे तौर पर मुखिया व पंचायत सचिव के पहचान पर राशि वितरित करना था। लेकिन कितने लाभुकों को कितनी राशि दी गयी इसका विभागीय कार्यपालक के कोई लेखा-जोखा मौजूद नहीं है।
बताया जा रहा है कि उन्हीं के माध्यम से राशि की बड़े पैमाने पर बंदर बांट की गयी है। आरोपित डीएम के आवास पर छापामारी की गयी। पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उनके सराहना व पैतृक गांव सुपौल के गढ़ बरुआड़ी में आलीशान भवन बनाया गया है। एक अनुमान के अनुसार गांव मे बने मकान मूल्य 50 लाख की अधिक है। जबकि सहरसा स्थित मकान की कीमत भी लाखों की है। सूत्रों पर यकीन करें तो आरोपित अधिकारी ने दोनों हाथों से पैसे की लूट की। तथा अपने पैतृक गांव के अलावा पटना और अन्य जगहों पर भी लाखों के भवन तैयार किये हैं। भरोसे मंद सूत्रों के अनुसार ये अधिकारी जब यहां से घर जाते थे तो किसी प्राइवेट वाहन से जाते थे और बोरे में भरकर रूपये ले जाते थे। हालांकि अभी तो जांच का दौर शुरू हुआ है तथा जांच की आंच दूर तक जाने की संभावना है। जांच में अभी कई और अधिकारियों के लपेटे में आने की संभावना है। फिलहाल पुलिस आरोपित अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए रणनीति बनाने में जुटी है।

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