बसैटी(अररिया),संसू: सरकार घोषणाएं तो करती हैं किन्तु उसे जमीन पर उतारे जाने में उनका प्रशासनिक अमला ही रूचि नहीं लेता।
रानीगंज प्रखंड के किसान भी प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेलने को विवश हैं। नहरों में पानी नहीं रहने के कारण सरकार ने किसानों को डीजल अनुदान देने की घोषणा की थी साथ ही तूफानी चक्रवात में बर्बाद हुए फसल का मुआवजा भी देने का आश्वासन दिया था लेकिन आज तक किसानों को कोई मदद नहीं मिल पाई है। इस संबंध में पूछे जाने पर अंचलाधिकारी राम विलास झा ने बताया कि सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार प्रभावित किसानों से अधिक ने मुआवजे के लिए आवेदन दिये थे। जिस कारण मुआवजा देने का निर्णय नहीं लिया जा सका है।
किसानों की मानें तो सरकारी घोषणा के बाद भी प्रखंड के किसानों को डीजल अनुदान की राशि नहीं मिल पाई है तथा इसके लिए ब्लाक व जिला मुख्यालय का चक्कर काटते काटते थक चुके हैं। जबकि किसानों द्वारा अनुदान राशि का आवेदन ब्लाक के दराजों में दीमक चाट रहे हैं। किसान नरेश विश्वास, मो. मुबारक, झबो चौधरी, घनश्याम सिंह, दीपक सिंह, घनश्याम रजक आदि का कहना है कि सरकार तो घोषणा जरूर करती है परंतु बिचौलिया व भ्रष्ट पदाधिकारी के कारण वह जमीन पर नहीं उतर पाता है।
एक तो सरकारी उदासीनता दूसरी ओर प्राकृतिक मार ने किसानों को तबाह कर दिया है। आवेदन दिये हुए छह माह से अधिक समय बीत गये। न तो डीजल अनुदान मिला है और न ही नकली खाद बीज के कारण सूर्यमुखी, मकई, गेहूं की बाली में दाना नहीं आने पर मुआवजा ही मिला है। चक्रवाती तूफान में भी काफी फसल नष्ट हो गयी थी। सरकार की ओर से घोषणा हुई, परंतु इसका लाभ अब तक नहीं मिला। प्रखंड में बिचौलिये हावी हैं। मुख्यमंत्री बीज विस्तार योजना के तहत केवल प्रतिनिधियों व उसके बिचौलियों को ही यह लाभ प्राप्त होता है। आम किसान सरकारी योजना से वंचित हो जाते हैं। मुखिया राज किशोर यादव, नाजिया खातून, अर्चना देवी भी दबी जुबान से स्वीकार करते हैं कि किसानों की हालत दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है। संपर्क करने पर अंचलाधिकारी राम विलास झा ने बताया कि सरकारी आंकड़े के अनुसार 33 हजार एकड़ में मकई व सूर्यमुखी की खेती हुई थी। जबकि प्रखंड में 8567 एकड़ के लिए फसल क्षति का आवेदन पड़ा था। जिस कारण वरीय अधिकारी के निर्देश पर रोक लगा दिया गया। हालांकि उन्होंने प्रखंड में बिचौलियों की भूमिका से इंकार किया।
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