अररिया : बहुत पुरानी कहावत है चौबे गये छब्बे बनने, दुबे बनकर लौटे। यही कहावत नगर परिषद में चरितार्थ हुई है। शुक्रवार को बस स्टैंड की बंदोबस्ती में विभाग को महज पंद्रह दिनों के भीतर एक लाख का घाटा हुआ। पिछले दिनों हुई डाक में प्रथम पक्ष ने 9 लाख तो दूसरे पक्ष ने 3.51 लाख की बोली लगायी थी। लेकिन नप कार्यपालक पदाधिकारी अनिल कुमार ने दोनों बोली में काफी असमानता को देखते हुये बंदोबस्ती की प्रक्रिया रद कर दी थी। कार्यपालक श्री कुमार ने इसकी जानकारी जिला पदाधिकारी को भी देकर उचित दिशा निर्देश की अपेक्षा की थी। आज जब दूसरी बंदोबस्ती की प्रक्रिया संपन्न करायी गयी तो प्रथम पक्ष ने अधिकतम 2.51 लाख की बोली लगायी। अन्तत: विभाग को प्रथम पक्ष को यह बंदोबस्ती करनी पड़ी। खास बात तो यह है कि बंदोबस्ती जिनके नाम की गयी, यही पक्ष प्रथम डाक में दूसरे पक्ष थे। उन्होंने प्रथम पक्ष के भाग जाने के बाद कार्यपालक श्री कुमार से दूसरे पक्ष के हक में बंदोबस्ती करने का अनुरोध भी किया था। लेकिन विभाग की मंशा ज्यादा कमाने की थी लेकिन हुआ उल्टा।
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