Saturday, April 16, 2011

सीएस साहब! बंद है अस्पताल का गहन चिकित्सा कक्ष


अररिया : जिलाधिकारी एम. सरवणन द्वारा जब एक माह पूर्व आपरेशन अस्पताल नाम अस्पतालों को सुधारने का दौरा शुरू किया था तो आम लोगों के मन में आस जगी थी, अब हास्पीटल सुधरेगा लेकिन अस्पताल की व्यवस्था ने मानो नहीं सुधरने की कसम खा ली है। प्रयासों के बावजूद गत आठ मार्च को प्रमंडलीय आयुक्त ब्रजेश मेहरोत्रा के समक्ष सदर अस्पताल की पोल खुल गयी थी। सदर अस्पताल में नवजात बच्चों की जान बचाने व उन्हें रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू) कक्ष तो है, लेकिन यह प्राय: बंद रहता है। शुक्रवार को भी यह सुबह से बंद था और फाटक में ताला लटका था। इस संबंध में जब सिविल सर्जन से उनके मोबाइल से संपर्क किया गया तो उन्होंने रिसीव ही नही किया। तब जाकर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक से दूरभाष पर वार्ता हुई। उन्होंने कहा कि बच्चे आते ही नही है। इसलिए बंद रहता है। उन्होंने कहा कि वहां बाकायदा स्वास्थ्यकर्मी की ड्यूटी लगी रहती है। लेकिन ठीक सदर अस्पताल गेट के सामने एक चिकित्सक के प्राईवेट क्लिनिक के गहन चिकित्सा केन्द्र में दर्जनों बच्चों की भीड़ देखी गयी। शुक्रवार को भी परिजनों की भीड़ थी। कुछ परिजनों ने बताया कि अस्पताल में तो बच्चा का इलाज करने या शीशा के बर्तन (इनक्यूबेटर) में रखने से इनकार करता है। लेकिन यहां सारी सुविधा वह भी कम शुल्क पर मिल जाती है। इस संबंध में आइसीयू प्रभारी डा. सत्यव‌र्द्धन ने बताया कि अस्पताल के आइसीयू में प्रशिक्षित कर्मी की कमी है तथा मशीन के पाट-पुर्जे भी कारगर नही हैं। इन सब बातों से स्पष्ट है कि हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर अस्पताल में व्याप्त गड़बड़ी लगातार बढ़ती ही चली जा रही है। अस्पताल कर्मियों ने बिना नाम बताये हुए कहा कि यहां एक डाक्टर व एक नर्स का ही राज चलता है। उनके 'हुकुम' के बिना पत्ता भी नहीं..।

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