Friday, November 4, 2011

मोबाइल ट्रेकिंग बना सुरक्षा का अचूक अस्त्र


अररिया : दूरसंचार व्यवस्था के व्यापकीकरण से न केवल ग्लोबल विलेज की अवधारणा मजबूत हुई है बल्कि पुलिस को भी अपराधियों का सुराग लगाने में महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है। विगत एक साल में तीन दर्जन से अधिक दुर्दात अपराधी पुलिस के हत्थे चढ़े हैं।
इक्कीसवीं सदी में दूरसंचार सुविधा के प्रसार से करोड़ों हाथों में मोबाइल आ गई है तथा इससे पूरा देश एक गांव के रूप में सिमट गया है। लेकिन इस सुविधा का इस्तेमाल अपराधी भी उतनी ही शिद्दत के साथ करते रहे हैं, जितना कि आम आदमी। लेकिन मोबाइल ट्रैकिंग के रूप में सुरक्षा तंत्र को अपराधियों की नकेल कसने का एक अचूक हथियार मिल गया है। सुरक्षा में लगे लोग इसकी मदद से न केवल आतंकियों की मांद तक प्रवेश कर गए हैं, बल्कि पुलिस को भी यह एक अचूक हथियार मिल गया है। पुलिस ने मोबाइल ट्रैकिंग के माध्यम से सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने में सफलता पायी है। अपराधी एवं उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पुलिस ने मोबाईल ट्रेकिंग का सुगम रास्ता अख्तियार कर लिया है। वर्ष 2011 के आंकड़े को देखें तो अररिया पुलिस तीन दर्जन से अधिक ऐसे अपराध कर्मियों को दबोचने में सफलता पायी है जो हत्या, लूट, डकैती एवं अन्य आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं। इनमें से अधिकांश अपराधी आज भी जेल की सलाखों के पीछे हैं। करीब एक वर्ष तक जिले से फरार रहने वाले डेहटी पैक्स घोटाले के सरगना शाखा प्रबंधक रूद्रानन्द झा तक पुलिस मोबाईल ट्रेकिंग के माध्यम से हीं पहुंची। जिले के चर्चित भाजपा नेता सह एपीपी देव नारायण मिश्र के असली हत्यारे जेल में बंद दिनेश राठौर के छोटे भाई विजय राठौर की गिरफ्तारी भी घटना के करीब दो वर्ष के बाद पुलिस मोबाइल ट्रेकिंग के माध्यम से हीं की। कथित हत्यारा विजय घटना के बाद हीं दिल्ली भाग निकला था। लेकिन पुलिस किसी तरह उसका मोबाईल नम्बर उपर करने के बाद उसे ट्रेकिंग में डाल दिया था। जब बीते अगस्त माह में घर लौट रहा था तो पुलिस पूर्णिया में ही उसे दबोच लिया। इसके बाद चोरी की मोटर साइकल नेपाल में बेचने वाले गिरोह के सक्रिय सदस्य मझुआ रंगदाहा के सिकन्दर मंडल , पप्पु मंडल , प्रदीप विश्वास, अम्हरा के विश्वनाथ खनहार, संजय साह, अमौना के जफर ,बुल्ला, मुनिफ, साहिद, मझुआ के प्रदीप विश्वास, जोगबनी के दलबल तिवारी, भेड़ियारे के चंदन रजक, सिसौना के असरफ, गोखलापुर के दिलशाद, अचरा के सुशील यादव, सुरसर के पप्पु यादव, फारबिसगंज के मुस्तफा, टप्पु टोला के मो ईशा, बेचन मियां रेवाही के आजम समेत दर्जनो आदतन अपराध कर्मी ऐसे हैं जिन्हें पुलिस दुर संचार के माध्यम से हीं दबोचने में सफलता पायी है। हाल हीं में नगर थाना क्षेत्र के शिवपुरी मोहल्ला में एक हीं रात दो घरों में डाका में शामिल अपराध कर्मी बबरा को पुलिस ने जोगबनी में उस समय दबोचने में सफलता पायी जब वह घटना को अंजाम देने के बाद नेपाल में अपने सामानों को ठिकाना लगाकर अररिया लौट रहा था। यही नही पुलिस ने जेल से बाहर अपराधकर्मियों पर नजर रखने के लिए उनके मोबाईल को ट्रेकिंग में डाल रखा है।
बाक्स:
पुलिस में काम कर रही है साइबर क्राइम शाखा
अररिया, निसं: अपराधियों पर नजर रखने के लिए जिले में पुलिस कप्तान गरिमा मलिक के निर्देशन में साइबर क्राइम शाखा बखूबी अपने कार्य को अंजाम दे रही है। पुलिस सूत्रों का मानना है कि आने वाले दिनों में मोबाइल ट्रेकिंग की सहायता से और भी सफलताएं हासिल होंगी।

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