अररिया : रामायण में रत्नाकर के वाल्मीकि बनने की दास्तां महज किस्सागोई नहीं है। समय-समय पर इसके उदाहरण मिलते रहते हैं। इस बार इतिहास ने अररिया में खुद को दोहराया है। यहां एक दशक से महाराष्ट्र के रत्नागिरि में रह रहा कुख्यात डकैत मु. कासिम उर्फ बंबइया वाल्मीकि की राह पर चल पड़ा है। उस पर सीमांचल के विभिन्न थानों में ढाई दर्जन संगीन मामले दर्ज हैं। कभी लोगों का लहू बहाने वाला कासिम आज रत्नागिरि की एक मस्जिद में उनके बीच हजरत मुहम्मद के उपदेश बांट रहा है।
कासिम ने सोमवार को एसपी शिवदीप लांडे से प्रभावित होकर खुद को कानून के हवाले कर दिया। इस मौके पर उसने नातिया कलाम .. जमीं मैली नहीं होती, चमन मैला नहीं होता। मुहम्मद के गुलामों का कफन मैला नहीं होता। मुहब्बत कमली वाले से, वो जज्बा है सुनो लोगों, ये जिस मन में समा जाए वो मन मैला नहीं होता। गाकर अपने शेष जीवन के भावी इरादों को साफ कर दिया।
कासिम मूल रूप से पलासी थाना क्षेत्र के करोड़ दिघली का निवासी है। उसके विरुद्ध अररिया एवं किशनगंज से 6 अपराधिक मामलों में वारंट भी निर्गत है। 90 के दशक में वह जरायम के पेशे में आया था। गिरोह बनाकर अररिया एवं किशनगंज जिलों में ढाई दर्जन से अधिक सड़क लूट, डकैती एवं आर्म्स एक्ट के मामलों को अंजाम दिया। उस पर अररिया एवं किशनगंज में तीन-तीन वारंट आज भी निष्पादन के लिए लंबित हैं। उसने बताया कि अपराध की दुनिया में रहकर वह समाज एवं परिवार से बिछड़ गया था। बच्चे भी अनाथों की तरह सड़क पर आ गए थे। पुलिस की दबिश से घबराकर वह घर से भागकर मुंबई पहुंच गया। वहां कुछ दिन रहने के बाद एक दिन धर्म स्थल पर गया। वहां उसका साक्षात्कार जीवन की सच्चाई से हो गया। उसी समय उसने अपराध से तौबा कर लिया। धर्म-कर्म में रुचि लेने लगा। आज वह धर्म गुरु है।
ढाई माह पूर्व मुंबई से घर आया। वर्तमान एसपी की कार्यशैली के बारे में सुनकर उनके समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्णय कर लिया।
इस मौके पर एसपी ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को समाज की मुख्य धारा से जुड़कर जीने का हक है। कासिम ने भी अपराध से तौबा कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ने की इच्छा जाहिर की। पुलिस का भी फर्ज बनता है कि उसकी मदद करे। एसपी ने कहा, वर्तमान में केवल पुलिसिया रौब दिखाकर ही अपराध एवं अपराधियों पर काबू नही पाया जा सकता। संवेदना एवं सामाजिक कर्तव्य भी कारगर अस्त्र साबित होते हैं।
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