Friday, June 10, 2011

भूतल परिवहन: संभावनाएं अपार, नहीं है खेवनहार


-आश्वासन का शिकार बन कर रह गयी रेल व वायु परिवहन सेवा
डा.अशोक झा, अररिया: अररिया जिले में वायु व भूतल परिवहन की अपार संभावनाएं हैं। उनकी तलाश करने वाला चाहिए। एनएच 57 फोरलेन के निर्माण ने इन संभावनाओं की हल्की सी झलक दिखलाई है। दरअसल, नेतृत्व की कमजोरी, व्यवस्था में व्याप्त जड़ता और सरकारी तंत्र की उपेक्षा ने जिले में परिवहन व्यवस्था को पंगु व खस्ताहाल बना कर छोड़ रखा है। अगर आवागमन व माल परिवहन प्रणाली को चकाचक बनाना है तो राजनीतिक नेतृत्व को गतिशील व सरकारी तंत्र को चुस्त दुरुस्त बनना ही होगा।
रेल विस्तार के मामले में उपेक्षित है अररिया-
अररिया जिले में रेल ट्रैक की लंबाई बढ़ने की बजाय घट गयी है। कोसी बैराज बनने के बाद बथनाहा से भीमनगर के बीच चलने वाली कोसी रेल समाप्त हो गयी तथा उस ट्रैक को ही उखाड़ दिया गया। इसी तरह फारबिसगंज जंक्शन से अंचरा घाट तक जाने वाली रेल लाइन भी समाप्त हो गयी। लेकिन जिले में नयी लाइनों के विस्तार की बात आश्वासन भर ही रह गयी।
अररिया से गलगलिया तथा अररिया से रानीगंज होते हुए सुपौल के बीच रेल विस्तार की योजनाओं के लिए बड़े तामझाम के साथ शिलान्यास किया गया। लेकिन पांच साल बीत गये, बात आगे नहीं बढ़ी है।
सड़क परिवहन:खुल सकते हैं संभावनाओं के नये द्वार-
जिले में सड़क परिवहन की शानदार जमीन तैयार हुई है। एन एच 57 फोरलेन, एसएच 63, 71 व 73 जैसी प्रमुख सड़कों के निर्माण से भूतल परिवहन के मामले में अररिया तेजी के साथ अगली पंक्ति के जिलों में शामिल हो रहा है।
जानकारों की मानें तो फोरलेन बन जाने से आने वाले दिनों में अररिया व आसपास का इलाका विकास की राह पर तेजी के साथ चल निकलेगा।
खत्म हो रहा ग्रामीण सड़कों के हनीमून का दौर-
प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जिले में दर्जनों ग्रामीण सड़कें बनायी गयी हैं और ग्रामीण स्तर पर परिवहन की स्थिति सुधरी है।
हालांकि सड़कों के रखरखाव के मामले में प्रशासन तंत्र ढीलाढाला है। अधिकतर ग्रामीण सड़कों में रेन कट तथा गढ्डे बनते जा रहे हैं, लेकिन उनके रख रखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
वायु परिवहन अब भी बना है सपना-
कहते हैं कि इस इलाके में कार्यरत एक अंग्रेज अधिकारी बोनेंजा प्लेन रखते थे। सन 1938 में जब एवरेस्ट की ऊंचाई मापने के लिए लेडी हाउस्टन अभियान पूर्णिया के लालबालू में आया तो उसकी सारी उड़ानें अररिया के बिल्कुल निचले आकाश से होकर ही हुई। लेकिन अररिया में वायु परिवहन का सपना सदियों बाद भी साकार नहीं हो पाया है।
चीन युद्ध के बाद फारबिसगंज के निकट भाग कोहलिया में हवाई अड्डा निर्माण के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन अर्जित की गयी, लेकिन सरकार की उपेक्षा के कारण पचास साल बाद भी जिले में वायु परिवहन सेवा प्रारंभ नहीं हो पायी है। हवाई अड्डा की जमीन पर सब्जियां उगायी जा रही हैं।
जल परिवहन की बंदी से बदहाल हो गया अररिया-
अररिया जिले में नदियों के रास्ते होने वाला जल परिवहन अतीत की एक शानदार विरासत रहा है। लेकिन मोटर गाड़ियों तथा चमकदार रेल गाड़ियों की वजह से जल परिवहन को बिल्कुल भुला ही दिया गया। जल परिवहन की जब्ती से जहां सड़कों पर दवाब बढ़ा है, वहीं, प्रदूषण में भी वृद्धि हुई है।
जानकारों के मुताबिक तीन दशक पहले तक अररिया में जल परिवहन एक हकीकत था। मुर्शिदाबाद व मालदह से आने वाले मिट्टी के बरतन नदियों के रास्ते ही आते थे। वहीं, जिंदा मछलियों को यहां से कोलकाता ले जाने केलिए जल परिवहन का ही सहारा लिया जाता था। लेकिन अब सब कुछ समाप्त हो गया।

0 comments:

Post a Comment