Wednesday, June 8, 2011

गतिरोध के लिए


सूख रही हैं सीमांचल की नदियां
-नदियों के सूखने से बदल रहा पर्यावरण
-कोसी प्लान की एक दर्जन नदियां सूख चुकी हैं
-परमान कनकई महानंदा फ्लड प्लान की नूना नदी भी सूखी
डा.अशोक झा, अररिया : आश्चर्य की बात है कि हिमालय की गोद में बसे सीमांचल में नदियां सूख रही हैं और उससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि इस दिशा में सत्ता व शासन तंत्र खास ध्यान नहीं दे रहे। स्वयंसेवी संगठन भी चुप हैं, राजनेताओं की ओर से भी कोई पहल नहीं हो रही।
नदियों के सूखने से बदल रहा पर्यावरण नदियों के सिकुड़ने से इलाके का पर्यावरण तेजी से बदल रहा है तथा विगत सात वर्ष में एक दर्जन से अधिक बार चक्करदार कातिल तूफान अपना खौफनाक चेहरा दिखा चुके हैं। जिनमें जान माल की जबर्दस्त हानि हो चुकी है।
जानकारों की मानें तो क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से इलाके के पर्यावरण पर गहरा कुप्रभाव पड़ा है। खासकर नेपाल की तराई में हुए वनविनाश ने इलाके के मौसम चक्र में ही बदलाव शुरू कर दिया है। इस बदलाव की परिणति क्या होगी, यह तो खुदा ही जाने। तराई सहित जिले की उत्तरी फिजां में छाई गहरी धुंध ने न केवल हिमालय की पहाड़ियों के खूबसूरत बैकड्राप दृश्यावली को हमसे छीन लिया है, बल्कि मौसम में उमसभरी गर्मी भी ला दी है।
वृक्ष कटाई से नदियां हुई स्वच्छंद --
पेड़ों के कट जाने से नदियां स्वच्छंद हो गयी हैं तथा अपने जलग्रहण क्षेत्र में पहाड़ियों से भारी मात्रा में अनुर्वर सिल्ट ला रही हैं। यह सिल्ट खेतों में बिछ रहा है। विगत कोसी प्रलय ने तो खेतों में सिल्ट डिपाजीशन की इस प्रक्रिया को और तेज कर दिया। खेतों में जगह जगह सिल्ट व सतुआ बालू के टीले बन गये। इन टीलों पर पड़ कर सूर्य की तेज किरणें वायुमंडल में लो प्रेशर जोन बनाती हैं, जिससे इलाके में चक्रवाती तूफान बढ़ गए हैं।
नदियों के सूखने का कारण है वृक्षों की कटाई-
वहीं, जानकारों का मानना है कि हिमालय में हुए वृक्ष संहार के कारण अररिया व आसपास की नदियां सूख रही हैं तथा भूतल जल स्तर नीचे जा रहा है।
कोसी फ्लड प्लान की एक दर्जन नदियां सूखी -
जिले के पश्चिम में स्थित कोसी फ्लड प्लान की एक दर्जन से अधिक नदियां सूख गई हैं। इन नदियों में कजरा, कमला, कमताहा, कारी कोसी, सीता, गेरुवा, नितिया, चक्कर, लछहा, बुढ़कोसी, बूढ़ी, हिरण, बिनैनियां आदि शामिल हैं।
वहीं, पानी के मामले में अधिक संपन्न परमान कनकई महानंदा प्लान की नूना जैसी नदी के सूख जाने से सब के कान खड़े हो गए हैं।
इस संबंध में अगर पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो सिल्ट के कारण नेपाल की पहाड़ियों में नदियों के सोर्स सिकुड़ रहे हैं।

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