अररिया : स्वास्थ्य सेवा घोषणाओं और वायदों के मकड़जाल में फंसकर रह गयी है। सरकारी घोषणाओं से आकर्षित मरीज स्वास्थ्य लाभ के लिए अस्पताल तो पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें सुविधाएं नही मिलती है। कभी दवा की कमी तो कभी चिकित्सकों की लापरवाही से मरीजों को हमेशा दो चार होना पड़ रहा है।
सरकार ने अस्पतालों में 113 प्रकार की दवाएं उपलब्ध कराने की घोषणा कर रखी है लेकिन आज तक सदर अस्पताल अररिया में भी 30 से 40 प्रकार से अधिक दवाएं उपलब्ध नहीं हो पाई है। पीएचसी, एडिशनल पीएचसी एवं स्वास्थ्य उपकेंद्रों में क्या सुविधा मिलती होगी, इसकी सहज कल्पना की जा सकती है। तमाम अरण्यरोदन के बावजूद इसमें सुधार नहीं हो रहा।
लेकिन इन सबसे बढ़कर आश्चर्य यह कि जिले में जितनी संख्या अस्पतालों की है, उसकी एक चौथाई संख्या भी डॉक्टरों की नहीं।
जिले में एक सदर अस्पताल, तीन रेफरल अस्पताल, 9 पीएचसी, 32 अतिरिक्त उप स्वास्थ्य केंद्र एवं 199 स्वास्थ्य उप केंद्र हैं, लेकिन इन अस्पतालों में सेवा देने के लिए कुल 60 चिकित्सक हैं, जिनमें 15 कंट्रैक्ट वाले हैं।
इससे भी अधिक आश्चर्य यह कि 28 लाख से अधिक की आबादी पर महज एक महिला चिकित्सक हुस्नेआरा बहाज पदस्थापित हैं। उन पर सदर अस्पताल अररिया में डीएस का पदभार भी है।
सदर अस्पताल अररिया में ग्रेड वन नर्स के 55 पद सृजित हैं, लेकिन मात्र 3 नर्स के भरोसे ही अस्पताल का कार्य चल रहा है।
सदर अस्पताल में लाखों की कीमत की अल्ट्रा साउंड मशीन जंग खा रही है लेकिन तकनीशियन व डॉक्टर की कमी के कारण आज तक किसी भी मरीज को इसका लाभ नही मिल पाया।
जिले के अस्पतालों में प्रतिवर्ष डाग बाइट के 20 हजार रोगी दवा के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इनमें बामुश्किल पांच से सात हजार रोगियों को ही समय पर दवा मिल पाती है।
वहीं, डाग बाइट व स्नेक बाइट की दवाओं की पोटेंसी एवं गुणवत्ता पर भी यदा कदा सवाल उठते रहे हैं। दो वर्ष पूर्व स्नेक बाइट में एक युवक की मौत के बाद खूब हो हल्ला हुआ था और सर्पदंश की दवा की क्वालिटी पर गंभीर सवाल उठे थे, लेकिन मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
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