अररिया : सावन का आगमन हो चुका है और बाबा के दरबार में हाजिरी देने के लिए शिवभक्तों का जत्था कमर कसकर तैयार है। वहीं, बाबा भोले के भोले भाले भक्तों को गांजे के जहरीले धुएं में भरमाने के लिए नशे के सौदागर भी तैयार हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि बाबा का दरबार फिर तेज करेगा गांजे का कारोबार।
अगर आपने कभी कांवरिया पथ पर यात्रा की है तो गांजे की पुड़िया बेचते सैकड़ों युवक सुल्तानगंज से दरसनिया के पहले तक जरूर मिलेंगे। ..हय बम, गांजा चाहिए? असली नेपाली माल है। नारे भी अजीब। ..जो न पिये गांजे की कली, उस लड़का से लड़की भली। .. जो न मारे दम ओकरा बेटा बेटी कम।. हमारी मांगें पूरी करो गांजा चिलम फ्री करो। युवाओं को नशे के समुद्र में डुबाने के लिए तरह-तरह के तर्क।
कांवरिया पथ पर गांजे की खाली चिलम भी खूब बिकती है। किसिम किसिम की डिजायनर चिलम भी बाजार में आ गयी हैं। जाहिर है कि इस सावन में भी गांजे के कारोबारियों ने अपनी दुकान सजा ली हैं।
कुछ दिन पहले अररिया में नेपाली गांजे की एक बड़ी खेप पकड़ी गयी थी। पुलिस कप्तान शिवदीप लांडे ने तीन युवकों को 38 किलो गांजा के साथ गिरफ्तार किया था। इससे स्पष्ट है कि नशे के सौदागर सावन-भादो माह में कांवरिया पथ पर गांजे की खेप पहुंचाने के लिए पूरी तरह मुस्तैद हैं।
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कहां से आता है गांजा
भारतीय क्षेत्र में गांजा (हेंप) की कमर्शियल स्तर पर कोई खेती नहीं होती। क्योंकि नारकोटिक्स एक्ट के तहत गांजा एक प्रतिबंधित पदार्थ है। जानकारों के मुताबिक गांजे की सबसे बड़ी आवक नेपाल से होती है। क्योंकि शिवालक की पहाड़ियों में गांजा धान गेहूं की तरह उपजाया जाता है। आप नेपाल के अंदरुनी बाजारों में चले जाइये तो एकआध किलो क्या, गांजे से लदी पूरी ट्रक खरीद कर ला सकते हैं। नेपाल के गांजा गोदामों में गांजे के स्टाक को उसी तरह थकिया क र रखा जाता है जैसा कि कोई कपड़ा व्यापारी कपड़े की थोक को रखता है।
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किस तरह आता है गांजा
गांजे की तस्करी में लगे एक युवक की मानें तो पुलिस की निगाह से बचने के लिए गांजे को बीस पचीस किलो के छोटे-छोटे पैक में लाया जाता है। इस कार्य में बेरोजगार युवकों का इस्तेमाल होता है। अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर युवक ने बताया कि मेन तस्कर बार्डर पर लाइन क्लियर लेता है तथा मोरंग के गोदामों से रात में गांजा की खेप चलती है। इसे लेकर रात में खेतों की मेड़ या नदियों की धारा के सहारे यात्रा की जाती है। नदी के साथ बढ़ने से राह भटकने का खतरा नहीं होता। अगर सुबह हो गयी तो गांव में ही रुक जाते हैं और फिर शाम में यात्रा शुरू करते हैं। तस्करों का एजेंट पूर्व निर्धारित जगह पर तैयार मिलता है जहां उसे माल सौंप देते हैं और वह नकद पैसा हाथ में दे देता है। एक रात की जर्नी में पांच सौ से एक हजार रुपये तक की इनकम होती है। हालांकि इसमें खतरे बहुत हैं।
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फोटो- 03 एआरआर 1
कैप्शन- शिवदीप लांडे
नशे के सौदागरों पर लगेगी लगाम : लांडे
अररिया, जाप्र: गांजे का नशा युवा पीढ़ी को पतन के मार्ग पर ले जाता है। इसीलिए नशे के सौदागरों को किसी सूरत में बख्शा नहीं जायेगा। यह कहना है पुलिस कप्तान शिवदीप लांडे का। उन्होंने बताया कि अररिया जिले में गांजे की मेन आवक नेपाल से होती है। जहां से इसे ट्रेन के माध्यम से महानगरों में पहुंचाया जाता है। तस्कर व्यापारी इस काम के लिए प्रवासी मजदूरों का इस्तेमाल करते हैं। श्री लांडे ने कहा कि इस बात की पक्की सूचना है कि सुलतानगंज से देवघर तक जाने वाले कांवरिया पथ पर गांजे की इनपुट नेपाल से बरास्ता अररिया की जाती है। पुलिस इसको लेकर पूरी तरह चौकस है।
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