Sunday, May 22, 2011

अररिया में 25 रेलवे गुमटियां मानवरहित


अररिया : मानव रहित रेलवे गुमटियों पर लगातार हो रहे हादसों के बावजूद लगता नहीं है कि रेल प्रशासन ने उससे कोई सबक लिया है। यात्रियों से सिर्फ भाड़ा के रूप में अरबों-खरबों रुपये वसूलने वाला रेल विभाग आज भी सभी रेलवे क्रासिंगों पर फाटक लगाने को लेकर संजीदा नहीं है जबकि बिना फाटक के रेलवे क्रांसिंगों की संख्या सैकड़ों में है, जहां कभी भी दुर्घटनाएं हो सकती हैं। आलम यह है कि सिर्फ जोगबनी-कटिहार रेल लाइन पर मानव रहित गुमटियों की संख्या तीन दर्जन से अधिक है। सिर्फ अररिया जिला से होकर गुजरी रेलवे लाइन पर करीब 25 ऐसी गुमटियां हैं जहां फाटक नहीं लगे हैं। इस संबंध में फारबिसगंज रेलवे जंक्शन स्टेशन के अधीक्षक वीपी यादव ने बताया कि जिस गुमटी होकर यातायात नगण्य है और मवेशी वगैरह गुजरते हैं उसे ही मानव रहित छोड़ा गया है, लेकिन उन्होंने बताया कि अब देखने में आ रहा है कि उन गुमटियों पर अक्सर दुर्घटनाएं हो रही है। इसलिए विभाग ने जोगबनी-कटिहार रेल खंड पर सर्वेक्षण का कार्य संपन्न करा लिया है तथा उन मानव रहित गुमटियों पर फाटक लगाया जाएगा।
काफी आंदोलन व जनता की मांग पर कटिहार-जोगबनी के बीच बड़ी लाइन आमान परिवर्तन का कार्य संपन्न हुआ और तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के समय बड़ी रेल लाइन बिछवाई। इसके बाद लंबी दूरी की तेज रफ्तार रेलगाड़ियां व कई ट्रेनें इस होकर चलने लगी हैं। हाल के दिनों में बिछाई गई उक्त रेलवे लाइन के बावजूद विभाग ने पूर्व के हादसों से कोई सबक नहीं लेते हुए दर्जनों रेलवे क्रासिंग को फाटक रहित ही छोड़ दिया। जहां अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। उक्त रेल खंड पर सिर्फ अररिया जिले से होकर गुजरी लाइनों पर गौर करें तो करीब 25 रेलवे क्रासिंग आज भी मानव रहित हैं। जिनमें जलालगढ़ से कुसियारगांव के बीच केजे 36, केजे- 37, केजे- 38, केजे-39 व केजे- 40 आदि ऐसी गुमटियां हैं जो अधिक व्यस्त हैं। गत वर्ष कुसियारगांव के पास रामपुर टोला के पास से गुजरी रेलवे लाइन केजी- 39 गुमटी के पास एक ट्रेन व ट्रक की टक्कर हो गई थी जिसमें ट्रक चालक की मौत घटना स्थल पर ही हो गई थी। इससे पूर्व जलालगढ़ से पहले कसबा के पास भी ट्रैक्टर व ट्रेन की टक्कर हो चुकी है जिसमें चालक की मौत हो चुकी है। इसके अलावा उन्हीं गुमटियों पर मवेशियों के ट्रेन से कटने व अन्य छोटी-मोटी घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। इसी तरह अररिया से जोगबनी के बीच भी करीब डेढ़ दर्जन रेलवे क्रासिंग मानव रहित हैं जहां दुर्घटनाएं होती रहती हैं। अररिया-फारबिसगंज के बीच स्थित मानव रहित गुमटियों पर भी कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। उसी तरह नरपतगंज से फारबिसगंज रेल लाइन के बीच भी करीब चार गुमटी हैं जो फाटक रहित हैं। उन मानव रहित गुमटियों पर भी कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। जबकि इस होकर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क व कई प्रमुख सड़कें पार होती हैं लेकिन वहां अब तक फाटक नहीं लगाया जा सका है। इस संबंध में नरपतगंज रेलवे स्टेशन मास्टर का कहना है कि उक्त सड़कों से होकर अधिक वाहन नहीं गुजरते हैं इसलिए यहां गुमटी पर फाटक नहीं दिया गया है। विभागीय तर्क चाहे जो भी हो लेकिन इतना सत्य है कि मानव रहित रेल गुमटियां दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रही है। इसलिए विभाग को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए।

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