Wednesday, May 25, 2011

हजार व पांच सौ के नोटों की हो रही तस्करी


अररिया : भारतीय अर्थ व्यवस्था पर चोट पहुंचाने की दोहरी साजिश हो रही है। सीमा पार से सुपाड़ी व अन्य मादक पदार्थो की तस्करी तथा उसके एवज में हजार व पांच सौ के बड़े भारतीय नोटों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अररिया जैसे सीमावर्ती जिले के एटीएम से प्रतिदिन करोड़ों मूल्य के बड़े नोट निकल रहे हैं और उन्हें हर रोज नेपाल भेजा व ले जाया जा रहा है।
जानकारों के मुताबिक भारतीय क्षेत्र के एटीएम से निकलने वाले बड़े नोटों को कमीशन पर नेपाल पहुंचाया जाता है, जहां से उनका इस्तेमाल भारतीय क्षेत्र में तस्करी नेटवर्क के लिए किया जाता है। धंधे में कार्यरत दलाल बड़ी संख्या में एटीएम कार्ड लेकर भारतीय एटीएम सेंटरों में पहुंचते हैं तथा वहां से रुपयों की निकासी कर उन्हें नेपाल ले जाते हैं।
बाक्स
फोटो- 24 एआरआर 1
कैप्शन- भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी दस रुपये के सिक्के
कहां गए लाखों दस रुपये के सिक्के?
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी व विगत वर्ष अररिया जिले में आया खूबसूरत दस रुपये के सिक्के कहां गए? ये बाजार के सर्कुलेशन में दिखाई नहीं पड़ते।
अररिया के बाजारों में सिक्कों की आम तौर पर किल्लत है तथा किसी भी दुकान में जाइए तो खुदरा की जगह टॉफी पकड़ा दिया जाता है या फिर पर्ची। इस व्यवस्था से आजिज आम लोग सिक्कों की किल्लत पर अब चर्चा भी नहीं करते। जानकारों के अनुसार विगत वर्ष जिले में लाखों मूल्य के दस टकिया क्वाइन आए थे। लेकिन बाजार में कहीं भी दस रुपये का सिक्का नजर नहीं आता। इस सिक्के के बाहरी हिस्से में पीली धातु की खूबसूरत बाइंडिंग है।
कोट :
एटीएम केद्रों पर निकासी करने वाले ग्राहकों में बमुश्किल 25 प्रतिशत लोग ही स्टेट बैंक के ग्राहक होते हैं। नेपाली व अन्य विदेशी बैंकों के कार्ड पर भी स्टेट बैंक के एटीएम से निकासी हो सकती है। स्टॉक में दस रुपये के सिक्के हैं, पहले रिलीज किए गए सिक्कों का क्या हुआ, पता नहीं।
वियोग कुमार, मुख्य प्रबंधक, स्टेट बैंक मेन ब्रांच
कोट :
एटीएम व बैंकों से बड़े नोटों की निकासी कर उन्हें नेपाल ले जाया जाता है। सूचना है कि नेपाल में इन रुपयों का उपयोग कथित रूप से तस्करी नेटवर्क में होता है। ऐसे लोगों पर नजर रखी जा रही है।
एकेसी सिंह, कमांडेंट, एसएसबी 24 वीं बटालियन

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