अररिया : अररिया में सूचना का अधिकार अधिनियम को सरकारी कार्यालयों में महत्व नहीं दिया जा रहा। सूचना मांगे जाने पर पहले तो टाल मटोल किया जाता है या फिर तथ्य छिपा कर आवेदक को जानकारी दी जाती है। ऐसा ही एक मामला नगर परिषद में सामने आया है। मांगी गई एक सूचना के जवाब में लोक सूचना पदाधिकारी ने कहा है कि निर्माण कार्य तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी ने कराया है, जिनका ट्रांसफर हो चुका है, इसलिए इसकी विस्तृत जानकारी उन्हीं से मांगी जाए।
नगर परिषद अररिया के लोक सूचना पदाधिकारी से सदर अस्पताल के निकट निचले तल के 35 कमरों के मार्केट के संबंध में पूरी जानकारी मांगी थी। उसमें मार्केट की जमीन, अभिकर्ता, प्राक्कलित राशि व निर्माण का आदेश देने वाले अधिकारी से संबंधित सूचना मांगी गई थी। 31 अगस्त 2009 को ही आरटीआई के तहत आवेदन दिया गया। निर्धारित अवधि तक सूचना अप्राप्त होने पर आवेदक ने 06 अक्टूबर 2009 को अपीलीय पदाधिकारी सह कार्यपालक पदाधिकारी के पास अपील दायर की। इस दौरान आवेदक को न तो सूचना और न ही प्राप्ति रसीद दी गई। नियम के अनुसार आवेदक ने राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष 19 दिसंबर को द्वितीय अपील दायर की। आयोग ने इस वाद संख्या 29130/099-10 दर्ज कर सुनवाई करते हुए 02 फरवरी 2011 को लोक नप के सूचना पदाधिकारी सह प्रधान सहायक सह लेखापाल त्रिवेणी शंकर मल्लिक पर 25 हजार रुपया का आर्थिक दंड लगाया। आयोग के इस फैसले के बाद नगर परिषद के लोक सूचना पदाधिकारी व अपीलीय प्राधिकार ने संयुक्त हस्ताक्षर से आवेदक को गत 16 मार्च को सूचना उपलब्ध करायी गयी। इस सूचना में उक्त भूमि को लोक निर्माण विभाग का बताया गया लेकिन भूमि हस्तानांतरण की दिशा में हुई कार्रवाई को छुपा लिया गया। पत्रांक 529 द्वारा निर्गत सूचना में दुकान बनाने के लिए आदेश निर्गत करने वाले के संबंध में जिला पदाधिकारी का नाम दिया गया है। वहीं मांगी गई एक सूचना के संबंध में अधिकारी ने कहा है कि मार्केट निर्माण 2007 के अगस्त में तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी सूरज कुमार सिन्हा द्वारा कराया गया था। इसलिए वस्तु स्थिति की जानकारी श्री सिन्हा से ही प्राप्त किया जाए। यही नहीं काम अपूर्ण होने की स्थिति में विभागीय कार्रवाई नही होने के संबंध में नगर परिषद द्वारा बताया गया कि श्री सिन्हा व उनके बाद दो कार्यपालक पदाधिकारी ने अभिकर्ता पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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