Sunday, May 22, 2011

मधेशवादी दलों से हुए समझौते लागू किये बिना नहीं बन सकता संविधान: विजय गच्छदार


जोगबनी (अररिया) : मधेशवादी दलों के साथ समझौते के बिना देश में शांति व्यवस्था कायम नहीं हो सकती।
उपरोक्त बातें नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री सह मधेशी जनअधिकार फोरम (लोकतांत्रिक) के अध्यक्ष विजय गच्छदार ने शनिवार को विराटनगर के हाटखोला मैदान में पूर्वांचलस्तरीय जनसभा को संबोधित करते हुए कही। सभा का आयोजन संयुक्त लोकतांत्रिक मधेश मोर्चा के द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा कि जब तक मधेशवादी दल के साथ हुए समझौते के अनुसार संघीयता की मांग जब तक पूरी नहीं होती है तथा राष्ट्रीय सहमति सरकार नही बनती है तब तक संविधान सभा की समय सीमा नहीं बढ़ाई जा सकती है।
श्री गच्छेदार ने कहा कि लड़ाकू और हथियार का भय दिखा सरकार में शामिल माओवादी के रहते देश में संविधान निर्माण की बात छलावा है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जो सरकार दस माह में प्रधानमंत्री का चयन करता है वह संविधान क्या बनाएगा। उन्होंने सरकार को अगाह करते हुए कहा कि मधेशियों के हक के बिना अगर संविधान बनाने का प्रयास होता है तो मधेश में हक और अधिकार को ले एक बड़ा आंदोलन शुरू होगा। जिसकी आधारशिला आज के सभा में रखी जा रही है।
इस मौके पर पूर्व मंत्री सह सद्भावना पार्टी के अध्यक्ष राजेन्द्र महतो ने कहा कि माओवादी के सरकार में शामिल होते शांति प्रक्रिया कभी पूरी नहीं हो सकती है और शांति प्रक्रिया के बिना संविधान निर्माण सफल नहीं होगा। पूर्व मंत्री शरत सिंह भंडारी ने कहा कि मधेश के हक के लिए तीनों मधेशवादी पार्टी एक बैनर तले आने से सरकार के पसीने छूटने शुरू हो गए हैं। उन्होंने जन समुदाय से आह्वान किया कि हक और अधिकार के लिए एक बार फिर आंदोलन आवश्यक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकतांत्रिक फोरम के जिलाध्यक्ष चुभ नारायण तरफदार ने किया जबकि मंच पर जिलाध्यक्ष शंकर साह, पूर्व मंत्री रामेश्वर राय यादव, हरिनारायण चौधरी, पूर्व मंत्री महंथ ठाकुर, जिलाध्यक्ष मो. कादिर, दिलीप धाडेवा, महिला मंच की मौसमी देवी एवं मंच व्यवस्था में मनोज पोद्दार आदि उपस्थित थे।

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