Wednesday, May 11, 2011

तीन विभूतियों की स्मृति में गोष्ठी


फारबिसगंज (अररिया) : इंद्रधनुष साहित्य परिषद के तत्वावधान में सोमवार अपराह्न को तीन महान विभूति आदि गुरु शंकराचार्य, संत सूरदास तथा विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर की स्मृति में एक गोष्ठी का आयोजन प्रो. (डा.) एनएल. दास की अध्यक्षता में किया गया।
मौके पर उपस्थित प्रबुद्ध जनों ने इन अमर विभूतियों को पुष्पांजलि देकर शतशत नमन के पश्चात सभाध्यक्ष डा. दास, कर्नल अजित दत्त एवं मांगन मिश्र मार्तण्ड ने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य ने उनकी माता के लाख विरोध के बावजूद भी संन्यास की दीक्षा ले ली थी और कालातर में बल्लभाचार्य की प्रेरणा से वृंदावन चले गये और कई धार्मिक कार्य किए। गुरु गोविन्दाचार्य की प्रेरणा से उन्होंने संस्कृत भाषा को लोकप्रिय बनाने का कार्य किया।
वहीं उमाकांत दास, कृष्ण सिंह एवं हेमंत यादव शशि ने सूरदास को भगवान कृष्ण का परम भक्त बताते हुए कहा कि सुरसागर और भ्रमर गीत उनकी अप्रतिम कृति है। उन्होंने कहा कि प्रभा और चिंतामणि के साथ प्रेम प्रसंग उनके जीवन के यादगार क्षण रहे। इस मौके पर उपस्थित साहित्य प्रेमियों के विश्वकवि रवींद्र नाथ टैगोर की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य पर केन्द्र सरकार द्वारा उनके नाम पर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा का मुक्त कंठ से सराहना की और तालियां बजाकर इसका स्वागत किया। वक्ताओं ने रवीन्द्र की रचना गीतांजलि को अमर कृति कहा और उन्हें प्राप्त नोबल पुरस्कार को देश का गौरव करार दिया।
कार्यक्रम में संयोजक विनोद कु. तिवारी, मनोज तिवारी, मृत्युंजय आदि थे। जबकि इस अवसर पर उपरोक्त वक्ताओं के अलावा जयकांत झा, भूवनेश्वर दास, राज नारायण प्रसाद, गोविन्द नारायण दास, शिव नारायण चौधरी, जहरू मंडल, सीताराम दास, बिहारी झा आदि भी उपस्थित थे।

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