रानीगंज (अररिया) : गुरु की शिक्षा एवं उनकी दीक्षा में अंतर है। शिक्षा बार-बार दी जा सकती है परंतु दीक्षा मात्र एक बार ही दिया जाता है। व्यक्ति खत्म हो जाते हैं परंतु व्यक्तित्व जीवित रहता है जिससे समाज में उसकी पहचान कायम रहती है। उक्त बातें वृदावन से पधारे सरल संत स्वामी नारायण दास जी महाराज ने भागवत कथा प्रवचन के दौरान रविवार को श्रद्धालुओं के बीच कहा। एक सप्ताह से विभिन्न सत्रों में चल रहे इस धार्मिक अनुष्ठान में देर शाम तक श्रद्धालु अमृत वाणी से लाभ उठा रहे हैं।
सनातन धर्म के प्रचार के उद्देश्य से लगभग 18-20 संतों की टोलियों यहां पहुंची है। उनके संकीर्तन व भागवत कथा वाचन से श्रद्धालु भावविहोर हो उठते हैं। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में प्रात: योग ज्ञान की शिक्षा दी जाती है उसके बाद प्रभात फेरी के दौरान ग्राम भ्रमण गाजे-बाजे के साथ होता है। इस दौरान लोगों को सनातन धर्म से संबंधित ज्ञान कीर्तन के माध्यम से दी जाती है। कार्यक्रम के दूसरे सत्र का आरंभ दोपहर भागवत कथा वाचन प्रवचन से होती है। जो संध्या 8 बजे तक चलता है। कार्यक्रम के अंत में आगन्तुक बच्चों द्वारा झांकी प्रस्तुत की जाती है। भवन के निकट चल रहे इस अनुष्ठान को संपन्न कराने में लीलानंद सिंह, सदानंद मंडल, रमेश मंडल 'पगला', वीरेन्द्र मांझी सहित कई लोग शामिल हैं।
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