अररिया : पंचायत चुनाव की गरमी चरम पर पहुंच चुकी है, सबको चाहिए जीत। जीत से कम कुछ भी स्वीकार नहीं। इसके लिए गरीब प्रत्याशी जहां रिश्तों की दुहाई दे रहे, वहीं गांठ के मजबूत लोगों ने हर वोट की बोली लगा दी है। पांच सौ रुपया वोट, हजार रुपया वोट, दो हजार रुपया वोट ..। सिलसिला अंतहीन है, बेईमानी का कोई सीमा नजर नहीं आता। कोशिश जात व टोलाबंदी के गलियारे से गुजरने की भी हो रही है। चाहे जिस शाटकर्ट से मिले मंजिल मिलनी चाहिए।
याद होगा कि जिलाधिकारी एम सरवणन व एसपी गरिमा मल्लिक ने इसी सप्ताह जोकीहाट के भेभड़ा चौराहे पर खुलेआम वोट खरीदते एक प्रत्याशी पति को रुपयों के साथ पकड़ा था। अररिया प्रखंड के बटुरबाड़ी में एक पंसस अभ्यर्थी वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए नरेगा जाब कार्ड बांटते हुए पाये गये। उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है। कुछ और स्थानों पर भी धन के मद में चूर उम्मीदवार प्रशासन की पकड़ में आए। कुछ को तो जनता ने ही खदेड़ दिया।
स्पष्ट है कि इस बार के पंचायत चुनाव में वोट खरीदने के लिए रुपयों की जैसी बारिश हुई है, वैसी कभी नहीं हुई है।
जानकारों के मुताबिक मुख्यालय के निकटवर्ती, महज एक पंचायत में वोटरों को रिझाने के लिए तकरीबन एक करोड़ रुपयों की बारिश हुई। चुनाव के दिन व उससे एक दिन पहले यहां प्रशासन के दस्ते ने पैसा बांटते उम्मीदवारों को खूब खदेड़ा (?)।
सूत्रों के मुताबिक इस पंचायत में एक- एक वोट के लिए हजार से दो हजार तक की बोली लगी।
वास्ता जिंदगी की हर जद्दोजहद में हमराह बनने का, दुहाई जनसेवा की और मकसद ..? मकसद भी साफ है, जरा इस बात का उत्तर तलाशिए कि जीत के बाद नेताओं को ओवरनाइट सफारी, बोलेरो व इंडीवर कहां से आ जाते हैं, महाशय जी लोग कृपाकर बताएंगे क्या?
याद होगा कि जिलाधिकारी एम सरवणन व एसपी गरिमा मल्लिक ने इसी सप्ताह जोकीहाट के भेभड़ा चौराहे पर खुलेआम वोट खरीदते एक प्रत्याशी पति को रुपयों के साथ पकड़ा था। अररिया प्रखंड के बटुरबाड़ी में एक पंसस अभ्यर्थी वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए नरेगा जाब कार्ड बांटते हुए पाये गये। उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है। कुछ और स्थानों पर भी धन के मद में चूर उम्मीदवार प्रशासन की पकड़ में आए। कुछ को तो जनता ने ही खदेड़ दिया।
स्पष्ट है कि इस बार के पंचायत चुनाव में वोट खरीदने के लिए रुपयों की जैसी बारिश हुई है, वैसी कभी नहीं हुई है।
जानकारों के मुताबिक मुख्यालय के निकटवर्ती, महज एक पंचायत में वोटरों को रिझाने के लिए तकरीबन एक करोड़ रुपयों की बारिश हुई। चुनाव के दिन व उससे एक दिन पहले यहां प्रशासन के दस्ते ने पैसा बांटते उम्मीदवारों को खूब खदेड़ा (?)।
सूत्रों के मुताबिक इस पंचायत में एक- एक वोट के लिए हजार से दो हजार तक की बोली लगी।
वास्ता जिंदगी की हर जद्दोजहद में हमराह बनने का, दुहाई जनसेवा की और मकसद ..? मकसद भी साफ है, जरा इस बात का उत्तर तलाशिए कि जीत के बाद नेताओं को ओवरनाइट सफारी, बोलेरो व इंडीवर कहां से आ जाते हैं, महाशय जी लोग कृपाकर बताएंगे क्या?
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