Wednesday, May 11, 2011

चाइनिज सेब के जरिये भारतीय कृषि व्यवस्था पर चोट का प्रयास


फारबिसगंज (अररिया) : भारत-नेपाल सीमा जहां तस्करी का केंद्र बन गया है, वहीं इस सीमा क्षेत्र होकर भारतीय अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने वाली साजिशों को लगातार हवा दिया जाता है। जाली नोटों का खेप इस सीमा क्षेत्र होकर भारत में भेजे जाने के बाद अब चाइनीज फल भेजे जा रहे हैं जो यहां की कृषि व्यवस्था पर भी चोट करती है। चाइनिज फलों से सीमावर्ती क्षेत्र के बाजार पट गये हैं। विभिन्न माध्यमों से तस्कर चाइनिज सेब भारतीय बाजारों में उपलब्ध करवा रहे हैं। अनुमंडल के शहरी एवं ग्रामीण बजार में खुलेआम इन सेबों को सजाकर बेचा जा रहा है। बताया जाता है कि भारतीय सेब की अपेक्षा चाइनिज सेब सस्ती है जिससे अधिक लाभ कमाने की होड़ में दुकानदान भी इसे खपाने में लगे रहते हैं। बताया जाता है कि नेपाल के रास्ते फलों को भारतीय इलाकों में पहुंचाने के लिए तस्करों का एक बड़ा गिरोह सक्रिय है। लेकिन इस पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया जा सका है। इस कारण जहां एक ओर भारत को राजस्व की हानि हो रही है वहीं भारतीय फलों की बिक्री पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जानकार बताते हैं कि चाइनिज सेब की पहचान आमतौर पर नहीं हो पाती है। किंतु ऐसे फलों के उपर लगे सफेद नेट (जाली) ही इसकी पहचान है। इधर सीमापार से आने वाले इन फलों का भारतीय बाजारों तक पहुंच जाना कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं।

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