Sunday, March 18, 2012

लीड: काला पानी की ओर बढ़ रहा अररिया


अररिया : बकरा इस जिले की प्रमुख नदी है। विगत माह इसके प्रवाह में काला जल बहता दिखायी दिया। यह नेपाल की फैक्ट्रियों का कचरा था। ग्रामीणों ने इस मुद्दे पर चिंता जाहिर की, लेकिन प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं गया, बात भी आयी गयी हो गयी। उधर, जिले के कोसी फ्लड प्लान में हैंड पंप का जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है तथा पीने के पानी में आयरन की मात्रा लगातार बढ़ रही है। मीठे पानी के भंडार पर तैरने वाले इलाके की यह हकीकत शायद इस बात की ओर इशारा करती है कि अररिया एक बार फिर काला पानी बनने की ओर अग्रसर है।
पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता अशोक सिंह के अनुसार जिले में 16 हजार हैंड पंप कार्यरत हैं, लेकिन
दस हजार हैंडपंप बंद भी पड़े हैं तथा इलाके के पानी में आयरन व कई प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया की मात्रा चिंता जनकहै। इधर, ग्रामीणों की मानें तो नरपतगंज, भरगामा
व फारबिसगंज के पश्चिमी हिस्सों में जल स्तर नीचे जा रहा है। जबकि आयरन का स्तर हर साल बढ़ रहा है। यानी पानी पाताल की ओर तथा आयरन आसमान पर।
जानकारों के अनुसार आयरन का मानक स्तर 0.3 पीपीएम होता है, जो इस वक्त 4.5 से अधिक है। यह परिमाण लगातार बढ़ा है। नब्बे के दशक की तुला में आयरन का स्तर दो गुना बढ़ गया है।
बात नदियों की करेंतो तस्वीर और काली नजर आती है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा जिले की परमान नदी के पानी की जांच की गयी तो इसमें आक्सीजन का लेवल कम तथा नाइट्रोजन अधिक पाया गया। वहीं, फासफोरस, पीएच वैल्यू आदि भी मानक के अनुरूप नहीं पाये गये। बकरा इसी नदी की सहायक है। जानकार बताते हैं कि नेपाल की फैक्ट्रियों से बहने वाला कचरा इन्हीं दोनों नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे इनका जल प्रदूषित हो गया है। इस प्रदूषण ने कई जल जीवों के अस्तित्व पर संकट पैदा कर दिया है। नदी में मछलियों की संख्या भी घट रही है। अररिया प्रखंड अंतर्गत फुलवाड़ी गांव के प्रो.चंद्रानंद झा ने बताया कि बकरा के जल में विगत दिनों लगातार काला पानी बहता देखा गया, लेकिन प्रशासन द्वारा इसकी चिंता नहीं की गयी। ।
दूसरी तरफ, सरकार द्वारा शुद्ध पेय जल मुहैया करवाने की योजनाएं असरकारी नहीं हो रही हैं। कई शहरों में जल मीनार लगे पर उनसे लोगों को लाभ नहीं मिल रहा। इससे पहले भी जोकीहाट, चंद्रदेई, नरपतगंज, डुमरिया, बसैटी आदि गांवों में प्रारंभ की गयी पेय जलापूर्ति योजनाएं फ्लाप हो गयी।
जहां तक आयरन रिमूवर संयंत्र लगाने का सवाल है, पूरी योजना खटाई में पड़ी नजर आती है। अररिया के एसपी शिवदीप लांडे ने विगत सप्ताह बैरगाछी के निकट एक जनप्रतिनिधि के घर पर कई आइआरपी (लौह निष्कासन संयंत्र) सेट पाये। उन्होंने पूरे मामले की जांच किए जाने की बात कही है। पीएचइडी परिसर में भी बड़ी संख्या में आइआरपी सेट्स पड़े पड़े बेकार हो रहे हैं। जोकीहाट के जहानपुर, काकन, सिमरिया आदि पंचायतों में लगे आइआरपी सेट आयरन के कारण जाम पड़ गये हैं। महलगांव इलाके में तो इन्हें अब तक लगाया भी नहीं गया है।
इधर, पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता श्री सिंह की मानें तो विभाग द्वारा शुद्ध पेयजल मुहैया करवाने के लिए कई उपाय किये गये हैं। जिनमें आइआरपी सेट लगाने का कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि विभाग ने पेयजल के बारे में शिकयत संग्रह व उनके निवारण के लिए कंट्रोल रूम बनाया है, जहां दर्ज कंप्लेन पर त्वरित कार्रवाई होती है। उन्होंने बताया कि शुद्ध पेयजल मुहैया करवाने के लिए पुणे की एक एजेंसी को कार्य दिया गया है जो अप्रैल माह से अपना काम शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि आइआरपी सेट वाले चापाकलों में पानी जल्दी से नहीं मिलता इस कारण लोग उसके रखरखाव के प्रति सजग नहीं रहते। उन्होंने लोगों से सहयोग की अपील की।

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