अररिया : भारत से चोरी गये दोपहिया वाहन पड़ोसी देश नेपाल की सड़कों पर बेखौफ दौड़ रहे हैं। इस धंधे में सीमावर्ती इलाके के कई संगठित गिरोह सक्रिय हैं जिनके तार नेपाल से जुड़े हैं। पलासी में गत दिनों अंतरजिला वाहन चोर गिरोह के तीन सदस्यों की गिरफ्तारी से
इस धंधे पर से एक बार फिर पर्दा हटा है।
पलासी के चहटपुर, बेलगच्छी, गड़हरा से गिरफ्तार तीन बदमाशों ने खुलासा किया है कि गिरोह के सदस्य सीमावर्ती जिलों में बाईक चोरी के बाद उसे सीमांचल क्षेत्र स्थित अड्डों पर जमा करते हैं फिर उसे नेपाल के सदस्यों के माध्यम से नेपाल में बेच देते हैं। चोरी व लूट के वाहनों को खपाने के लिए नेपाल में भी गिरोह के सदस्य सक्रिय हैं। पलासी की घटना से पूर्व भी दो दर्जन से अधिक वाहन चोर अपराधियों ने पुलिस के समक्ष कई बार इस बात का खुलासा किया है कि जब भी वे दोपहिया वाहन चोरी करते हैं तो उसे बिना समय गंवाये भारतीय सीमा पार करा कर नेपाल भेज देते हैं। इसके लिए उनके गिरोह के सदस्य सक्रिय रहते हैं। खासकर जोगबनी के टप्पू टोला, अम्हरा, नरपतगंज, फारबिसगंज, कुर्साकाटा, सिकटी में इस गिरोह की सक्रियता अधिक है।
पुलिस के समक्ष पूर्व में वाहन लुटेरा गिरोह के सदस्यों ने यह भी खुलासा किया है कि गाड़ी के हिसाब से उसकी कीमत नेपाल में तुरंत मिल जाती है। किसी भी दो पहिया वाहन के उन्हें 15 से 25 हजार मिलते हैं। हालांकि इन गिरोहों के डेढ़ दर्जन से अधिक सदस्य जेल में बंद हैं लेकिन पलासी की घटना पुलिस के लिए चौकाने वाली है। इस घटना में जो तथ्य उभरकर सामने आये हैं वह पुलिस के लिए अनुसंधान का विषय बन गया है।
वहीं पुलिस अधीक्षक शिवदीप लांडे का कहना है कि हाल के दिनों में ऐसे गिरोह पर काफी हद तक लगाम लगा दिया गया है। जो शेष बचे हैं उस पर पुलिस की नजर है।
नेपाल से गाड़ी बरामद करने के सवाल पर एसपी ने बताया कि उनकी पुलिस सीधे तौर पर नेपाल में कार्रवाई नहीं कर सकती है। लेकिन सीमा पर पुलिस चौकस है। जब कोई अपराधी सीमा पर आते हैं तो उसे गिरफ्तार करने में देरी नहीं होती।
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