Friday, April 22, 2011

गर्मी आते ही बढ़ी सर्पदंश की घटनाएं


कुसियारगांव (अररिया) : सावधान! गर्मी आते ही फिर सांपों की फुंफकार शुरू हो गयी है। आंकड़े बताते हैं कि क्षेत्र में सबसे अधिक सांप काटने की घटना अप्रेल से लेकर अक्टूबर माह के बीच होती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सर्प के डंसने से पिछले वर्ष सिर्फ सदर अस्पताल अररिया में इलाज के दौरान आधा दर्जन से अधिक लोगों ने दम तोड़ दिया। जबकि बहुत सारे मरीज तो झाड़-फूंक के चक्कर में अस्पताल पहुंच ही नहीं पाये और वहीं दम तोड़ दिया। उसे जोड़ा जाय तो मृतकों की संख्या बढ़ भी सकती है। सिविल सर्जन सीके सिंह बताते हैं कि सदर अस्पताल में पिछले साल सर्प दंश के 158 मरीज इलाज के उपरांत ठीक हो गये। उन्होंने बताया कि अधिकांश सर्प में मारक विष नहीं होता है किंतु लोग दहशत में आ जाते हैं जिससे उसकी हालत बिगड़ जाती है।
ज्ञात हो कि गर्मी शुरू होते ही सर्प हवा खोरी के लिए विचरण करने लगते हैं। इसी दौरान खेतों व जंगलों में लोग उसके शिकार हो जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि सर्प दंश के अधिकांश शिकार मजदूर, किसान व ग्रामीण होते हैं। खेतों में काम करने के दौरान व मवेशी चराने के समय अन्यथा चलने फिरने के दौरान सर्प डंस लेते हैं। हालांकि पिछले साल घरों में भी सांप काटने की कई घटनाएं प्रकाश में आयी थी। दरअसल मिट्टी व फूस के बने घरों में खासकर बर्षात के दिनों में सांप अंदर आ जाते हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सर्प दंश के बाद अधिकांश मरीज अब भी झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं जिस कारण विष शरीर में फैल जाता है। जानकार यह भी बताते हैं कि क्षेत्र में जहरीला सर्प बहुत कम हैं। क्षेत्र में विषैले सांपों की प्रजातियां अब भी मौजूद हैं जिनसे बचने की जरूरत है। क्षेत्र में पाये जाने वाले जहरीले सर्पो में करैत, गेंहुंवन, दुधिया गैहुंवन आदि शामिल हैं। हालांकि इसका उपचार भी संभव है, लेकिन समय पर उसे अस्पताल पहुंचाने की जरूरत है और कारगर दवा देने की भी आवश्यकता है। हालांकि लोगों की शिकायत है कि यहां के पीएचसी में समय पर कारगर दवा उपलब्ध नहीं रहती है। सिविल सर्जन सीके सिंह बताते हैं कि अस्पताल में दवा उपलब्ध है तथा राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा दवा को चयनित कर भेजा जाता है। उन्होंने सर्प दंश पीड़ितों को तत्काल 6 गुणा 8 इंच पर अलग-अलग बांध कर हल्का चीरा लगाने की सलाह दी जिससे विष भरा रक्त बाहर निकलता रहेगा।

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