Monday, April 18, 2011

मिट्टी भराई से लगातार सिकुड़ रहा सीताधार,अस्तित्व संकट में


फारबिसगंज (अररिया) : प्रशासनिक अदूरदर्शिता के कारण फारबिसगंज के ऐतिहासिक महत्व वाले सीताधार का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। नदी को जगह जगह मिट्टी भराई कर आवासीय योग्य बनाया जा रहा है जिसके चलते शहर में जल निकासी का प्रमुख स्त्रोत सिकुड़ने लगा है साथ ही शहर में बाढ़ के समय स्थिति और विकराल होने की आशंका बढ़ गई है। बाढ़ के पानी की निकासी के लिए नगर परिषद ने करीब साठ लाख की लागत से सीताधार मेनड्रेन जल निकासी की महत्वपूर्ण योजना बनाई है। लेकिन भू माफियाओं के कारण इस महत्वाकांक्षी योजना पर भी ग्रहण लगता प्रतीत हो रहा है। गौरतलब है कि प्रतिवर्ष सीमापार नेपाल के तराई क्षेत्रों में अतिवृष्टि के कारण भारतीय क्षेत्रों में जलस्तर खतरे के निशान से उपर हो जाता है तथा ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ फारबिसगंज नगर परिषद के वार्ड संख्या एक, दो, तीन, सात, आठ में भी बाढ़ की समस्या खड़ी हो जाती है। इसीसे निजात पाने के लिए सीताधार मेनड्रेन जल निकासी योजना तैयार की गयी है किंतु दुर्भाग्यजनक है कि आज तक उसे अमलीजामा नहीं बनाया जा सका है। बताया जाता है कि शहर के सटे मटियारी पंचायत में विश्वकर्मा मंदिर के समीप इन दिनों मिट्टी भराई कर जल निकासी के मुख्य मार्ग को अवरुद्ध किया जा रहा है। मटियारी पंचायत के ग्रामीणों ने गत 13 दिसंबर 10 को भारत-नेपाल मुख्य सड़क मार्ग को जाम कर सीताधार का अतिक्रमण किये जाने का विरोध किया था। एसडीओ गिरीवर दयाल सिंह (भाप्र से) ने तब आंदोलन कारियों को जल निस्सरण की उचित व्यवस्था कराने तथा मामले की जांच का आश्वासन देते हुए तत्काल मिट्टी भराई कार्य पर तत्काल रोक लगा दी। बाद में पुन: मिट्टी भराई का कार्य शुरू कर दिया गया है। जिससे ग्रामीणों में रोष पनपने लगा है।
नगर परिषद के स्थायी समिति सदस्य वार्ड पार्षद मोतीखान सहित परमानंद दास, अशोक कुमार झा, श्यामानंद झा, योगानंद योगेश आदि लोगों ने अवैध गति से चल रहे भवन निर्माण कार्य एवं मिट्टी भराई कार्य को जनहित में रोक लगाने की मांग की है। साथ ही जल निकासी के मार्ग को अवरुद्ध करने वाले तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग सरकार एवं जिला प्रशासन से की है।

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