Thursday, December 2, 2010

गरीबों के मुंह से निवाला छीन रहे कालाबाजारी

फारबिसगंज(अररिया),निप्र : गरीबों को सरकारी किफायतों पर मिलने वाला अनाज गरीबों के पेट तक नहीं पहुंच रहा है। अनाजों पर बढ़ रहे कालाबाजारियों की पकड़ ने गरीबों के मुंह से निवाला छीनने का कुकृत्य को बढ़ावा दे रहा है। फारबिसगंज अनुमंडल इलाके में बीपीएल, अन्नपूर्णा, अन्त्योदय जैसे लाभुकों के लिए उठाव किये जा रहे अनाजों को मंजिल तक पहुंचने से पूर्व ही चंपत किये जाने की बात चर्चाओं में है। बताया जाता है कि जन वितरण के डीलरों के द्वारा उठाव किये जा रहे अनाज का एक बड़ा हिस्सा गरीबों के घर तक न पहुंच कर कथित तौर पर कालाबाजारियों के गोदामों तक पहुंच जाता है। इधर, फारबिसगंज विघटित कृषि बाजार समिति प्रांगण स्थित एसएफसी के गोदामों के समीप बिचौलियों की सक्रियता तेज देखी जा रही है। यही से अनुमंडल के फारबिसगंज, नरपतगंज तथा भरगामा प्रखंडों को पीडीएस का अनाज डीलरों को आवंटित किया जाता है। इसके अलावे स्कूलों में आवंटित होने वाले मध्याह्न भोजन योजना के अनाज का भी कालाबाजारी किये जाने की बात बतायी जा रही है। हाल के दिनों में फारबिसगंज, नरपतगंज, भरगामा प्रखंडों में पकड़े गये कालाबाजारी के अनाजों तथा एमडीएम के अनाजों ने कालाबाजारियों के बुलंद हौसले को रेखांकित किया है।
इधर, फारबिसगंज एसडीओ जीडी सिंह ने कहा कि अनाज की कालाबाजारी को लेकर प्रशासन सर्तक है। कालाबाजारियों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। मालूम हो कि कुछ माह पूर्व ही शहर के जुम्मन चौक स्थित एक गोदाम से तत्कालीन एसडीओ सह डीसीएलआर मुकेश सिन्हा ने छापामारी कर सैकड़ों सरकारी बोरा चाल बरामद किया था। इस मामले में नामजद प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी। लेकिन बाद के दिनों में कार्रवाई शिथिल हो गयी। वहीं कई विद्यालयों में एमडीएम के चावल बेचने के मामले में लगातार आते रहे हैं। भरगामा प्रखंड में कुछ माह पूर्व ही कालाबाजारी के अनाज बेचे जाने के कई मामले आये थे। इधर विधान सभा चुनाव में कई माह तक प्रशासनिक अधिकारियों की व्यस्तता का बिचौलियों एवं कालाबाजारियों ने कथित तौर पर काफी लाभ उठाया। जिसका परिणाम रहा की अनाज के गोदामों से लेकर खुले बाजार तथ ग्रामीण इलाकों में बिचौलिये सक्रिय हो गये। आज भी गरीबों को अनाज नहीं दिये जाने की शिकायतें आ रही है। गोदामों से निकलने वाला सरकारी अनाज रास्ते में भटक जा रहा है। आखिर कैसे रूकेगा अनाजों की कालाबाजारी।

0 comments:

Post a Comment