Friday, December 3, 2010
जीरो टिलेज विधि से फसल की बुआई कर सकेंगे किसान
फारबिसगंज(अररिया),जासं: बिहार के किसान भी अब खेतों को बिना जोत के ही फसल की बुआई कर सकेंगे। इस अंतरराष्ट्रीय तकनीकी की शुरूआत सूबे के अररिया जिला के सिरसिया कृषि फार्म से हुई है। जिला में सरकारी स्तर पर दो टर्बो हेप्पी सीडर मशीन की खरीददारी की गयी है। इसके अलावा 45 जीरो टिलेज मशीन की भी खरीददारी की गयी है। इससे पूर्व बिहार में टर्बो हेप्पी सीडर मशीन वाली तकनीकी से फसल की बुआई नहीं होती थी। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय धान- गेहूं, मक्का सुधारक संस्थान के बेगुसराय केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डा. राजकुमार जाठ, तकनीकी विशेषज्ञ अशोक कुमार यादव, कृषि विशेषज्ञ आरएस त्रिपाठी तथा जिला कृषि पदाधिकारी विशेषज्ञ बैद्यनाथ यादव ने सिरसिया कृषि फार्म में मशीन से बुआई की शुरूआत की। इसके अलावा सिकटी प्रखंड में भी किसानों के समक्ष नयी तकनीक का डेमो दिखाया गया। तकनीकी विशेषज्ञ अशोक कुमार यादव ने बताया कि हेप्पी सीडर मशीन से खेतों में बिना जोत के ही धान, गेहूं तथा मक्का फसल की बुआई की जाती है। वहीं जीरो टिलेज मशीन से भी बिना जोत के बुआई हो सकती है। लेकिन जिस खेतों में धान, पुआल सुखकर नीचे जमीन पर गिर जाता है उस जगह जीरो टिलेज मशीन से बुआई करते है उस जगह जीरो टिलेज मशीन से बुआई करने में कठिनाई होती है। इस प्रकार के खेतों में हेप्पी सीडर मशीन से बुआई आसानी से हो जाती है। श्री यादव ने बताया कि हेप्पी सीडर मशीन तकनीक बिहार में पहली बार खेतों में बुआई के लिए किसानों द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है। हालांकि जीरो टिलेज तकनीक का उपयोग सूबे में पहले से किया जा रहा है। हेप्पी सीडर तकनीक से फसल की लागत प्रति हेक्टेयर तीन से चार हजार रूपया तक कम हो जाता है। मशीन की खरीददारी पर सरकार द्वारा 50 फीसदी अनुदान भी देने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर सूबे में नयी तकनीकी से फसल बुआई को प्रोत्साहन मिल रहा है। बिहार में इस नयी तकनीकी की उपलब्धि अररिया जिला को मिला है।
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