Thursday, December 2, 2010

लक्ष्य की ओर बढ़ रहा त्वरित न्यायालय

अररिया, विसं: जिले में त्वरित न्यायालय धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। हालांकि अब त्वरित न्याय की राह में कई बाधाएं खड़ी है बावजूद लोगों को इसका लाभ मिल रहा है।
अररिया के विभिन्न सत्र न्यायालयों ने हत्या, डकैती, दुष्कर्म, आ‌र्म्स एक्ट आदि संगीन सेसन मामलों में सुसंगत न्याय के तहत अपना फैसला सुनाया है। किंतु सत्र न्यायालयों में पुलिस बल के साक्षियों की शीघ्र उपस्थिति को लेकर अड़चने आ रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अररिया के एडीएम प्रथम के न्यायालय ने जहां वर्ष 2010 में अप्रैल माह तक दिये सेसन के फैसले में हत्या व आ‌र्म्स समेत अर्थ दंड का फैसला सुनाया। तो त्वरित न्यायालय के न्यायाधीश गंगा राम शरण त्रिपाठी ने जुलाई 10 में डकैती के मामले के आरोपी को दस वर्षो की सजा व अर्थ दंड दिया।
उधर इन न्यायालयों ने वर्ष 09 में क्रमश: हत्या के प्रयास व दहेज हत्या के मामले में आरोपियों को पांच वर्ष का उम्रकैद की सजा सुनाया तो त्वरित न्यायालय प्रथम ने दुष्कर्म के प्रयास के दो मामलों में सात-सात वर्षो की सजा दी।
त्वरित न्यायालय द्वितीय विजय सिन्हा की अदालत ने वर्ष 2010 में पांच सेसन मामले में सजा सुनाया। जिसमें दुष्कर्म, दुष्कर्म के प्रयास, हत्या आदि मामले रहे। इसमें सत्रवाद संख्या 167/05 में मो. मंसूर उर्फ पिंटू, सत्रवाद संख्या 1004/08 में मो. इद्रीस, बीबी जुवेदा खातून, मो. मुस्ताक, बीबी हुस्ना व यासीन तथा शमीम अंसारी को उम्र कैद की सजा सुनाया तो नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म मामले में सत्रवाद 212/00 में लाल बहादुर मंडल व प्रवेश मंडल को आठ वर्षो की सजा व जुर्माना तथा सत्रवाद संख्या 287/10 में देवेश्वर लाल देव को तीन वर्षो की सजा व अर्थदंड दिये।
वहीं उक्त न्यायालय ने वर्ष 2009 में दस सेसन मामले का फैसला दिया, जिसमें हत्या के तीन मामले में चनकू मुर्मू, युगेश्वर सिंह, कमलेश्वरी साह को उम्रकैद तथा दुष्कर्म के एक मामले में सदानंद यादव, दहेज हत्या के दो मामलों में मो. अनवारूल अंसारी आदि अपहरण के बाद हत्या मामले में शंभु मरांडी व विष्णु मरांडी, डकैती में प्रमोद साह, दुलार चंद मंडल, सफाजुद्दीन तथा हत्या के प्रयास मामले के आरोपी प्यारचंद वर्मा को छह वर्षो की सजा आदि का अहम फैसला दिया।
त्वरित न्यायालय चतुर्थ जीतेन्द्र कुमार सिंह ने वर्ष 2010 में 29 जुलाई 2010 को दिये फैसले में हत्या व आ‌र्म्स एक्ट के दो अलग-अलग मामले के आरोपी को उम्र कैद व दो वर्षो की सजा तथा अर्थदंड तथा वर्ष 09 में दिये गये तीन फैसलों में दो मामले हत्यारोपी को उम्रकैद तथा हत्या के प्रयास के आरोपी के तीन वर्ष की सजा दी।
वहीं त्वरित न्यायालय पंचम सत्य प्रकाश ने वर्ष 2010 के अक्टूबर तक सात मामले में फैसला दिया। जिसमें हत्या के पांच मामले में सभी हत्या रोपी को उम्र कैद तथा दहेज के लिए हत्या मामले में भी उम्र कैद की सजा दी तो वर्ष 09 में आ‌र्म्स एक्ट समेत दो मामले में क्रमश: सात वर्ष व चार वर्ष तथा अर्थदंड दिये।
जबकि त्वरित न्यायालय षटम शैलेन्द्र कुमार सिंह की अदालत ने मार्च 10 तक दिये फैसले में हत्या के मामले के आरोपी को उम्र कैद तथा दहेज हत्यारोपी को उम्र कैद व अर्थ दंड दिये। वहीं उन्होंने वर्ष 09 में कोई मामले का फैसला नहीं दिलाने की बात सामने आया।
उधर डीएम व एसपी अररिया को दिये पत्र में वर्ष 10 में प्रथम सहायक सत्र न्यायाधीश तथा द्वितीय सहायक सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में लंबित सेसन मामले फैसले के बिंदु तक नहीं जा सकता तो वर्ष 2009 में भी त्वरित न्यायालय तृतीय, प्रथम व द्वितीय सहायक सत्र न्यायाधीश द्वय के न्यायालयों में भी फैसले की बिंदु तक मामला नहीं गया।
इस संबंध में लोक अभियोजक के.एन विश्वास ने दिये गये पत्र की प्रति बिहार के मुख्य सचिव, गृह सचिव व पुलिस महा निदेशक, पटना को भी प्रेषित की है। तथा कहा कि सेसन के लंबित मामले में पुलिस बल की उपस्थिति काफी कम है तथा साक्षियों के इंतजार में लंबे समय लग जाते हैं। जिससे आरोपी को अप्रत्यक्ष लाभ मिलता है। जरूरत है सेसन मामले में पुलिस बल, चिकित्सक व सर्जेन्ट मेजर जैसे प्रमुख साक्षियों को शीघ्र साक्ष्य प्रस्तुत हो ताकि त्वरित न्याय दिलाने की मंशा पूरी हो सके।
वहीं अधिवक्ताओं का कहना है कि सेसन मामले में गवाह प्रस्तुत के लिए कार्यपालिका कम जिम्मेवार नहीं है। जब तक इस मुद्दे को संवेदनशील नहीं समझा जायेगा त्वरित न्याय की सारी उम्मीदे कानूनी अड़चनों में सिमट कर रह जायेगी।

0 comments:

Post a Comment