अररिया,निप्र: आनंद मार्ग शिष्य बनाने का नहीं बल्कि मानव बनाने का मिशन है। छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच का भेदभाव किये बिना समतामूलक समाज की संरचना करना ही साधकों का परम कर्तव्य होता है। स्थानीय यादव महाविद्यालय प्रांगण में आयोजित दो दिवसीय आनंदमार्ग धर्म महासम्मेलन के अंतिम दिन रविवार को मध्याह्न काल के प्रवचन में स्थानीय वरिष्ठ गृही आचार्य विश्वेश्वर ने उक्त बातें कही। उन्होंने साक्त साधना, शैव साधना तथा वैष्णव साधना के समन्वय पर विशेष प्रकाश डाला। रात्रिकालीन सत्र में छोटे-छोटे बाल कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम दूसरे दिन भी दर्शकों का मन मोह लिया। मार्ग गुरू प्रतिनिधि आचार्य यतीश्वारानंद अवधूत के प्रवचन के पश्चात साधक-साधिकाओं के बीच आनंदमूिर्त्त जी की वरामय मुद्रा स्क्रीन पर दिखाया गया। इसके बाद गृही आचार्य विश्वेश्वर के अध्यक्षीय भाषण के समापन की घोषणा की गयी।
कार्यक्रम को सफल बनाने में आचार्य परमेश्वरानंद, आ. पूर्णव्रतानंद, आ. भक्ति मयानंद, आ. प्रिय कृष्णानंद, आचार्य स्निग्धा, आ. अनुप्रभा, भुक्ति प्रधान सत्यकाम, कृप्यानंद, नागेश्वर, कृष्ण कुमार, परमेश्वर, भिक्टर, सुमन्त्र, अशोक, गणेश आदि की सक्रिय भागीदारी रही।
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