Thursday, December 2, 2010

रेणु की परती जमीन पर खिला उम्मीदों का फूल

फारबिसगंज(अररिया),जासं: रेणु की परती प्यासी जमीन अचानक हरियाली पाने के लिए बेताब हो गयी है। उस धूल धूसरित जमीन को सींचने के लिए रेणु के अपने ही खून के कंधों पर आखिरकार पूरा भार आ गया। महान आंचलिक साहित्यकार स्व. फणीश्वर नाथ रेणु ने सन् 1972 ई में खुद भी विधानसभा चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के सरयू मिश्र से हार गये थे। जो सपना रेणु पूरा नहीं कर पाये वह उनके बड़े बेटे पदम पराग राय वेणु ने पूरा कर दिखाया। अपार बहुमत के साथ चुनाव जीते वेणु अपने पंचायत के मुखिया भी हैं।
फारबिसगंज प्रखंड के हिंगना औराही गांव स्थित रेणु के पुश्तैनी घर शुभ चिंतकों के आने जाने वालों का सिलसिला जारी है। यहां रेणु के पुराने मकान की जगह पक्का मकान बन गया है। पुरानी फूस के घर की जगह शानदार और महंगा दालान। सामाजिक सरोकार वाले साहित्यकार रेणु के फूस वाले बंगला पर आधुनिकता और पूंजीवाद के मिश्रित फूल खिला हुआ है। यहीं पर सामने बने पक्का के मकान में स्वर्गीय रेणु की दोनों पत्‍ि‌नयों लतिका रेणु और पदमा रेणु शांति के क्षणों में बैठी थी। नवनिर्वाचित विधायक पदम पराग राय वेणु के बारे में पूछने पर लतिका कहती है कि अब उसको बहुत काम करना है। काफी मुश्किल से उन्हे कुछ भी सुनाई देता है। अचानक रेणु की चर्चा करने लगती है। पटना में सारा सामान पड़ा हुआ है। बहुत किताबें वहां है। अरुण जी ने कहा कि पटना में लाइब्रेरी बनवायेंगे। यह कागज पर लिखकर रेणु के चुनाव लड़ने के बारे में पूछने पर कहती है दस हजार से रेणु जी चुनाव हार गये थे। लतिका अचानक कहती है कि वह एक दिन रेणु जी के चुनाव प्रचार के दौरान डा. अलख बाबू के यहां रूकी थी। वहीं से पटना चली गयी थी। रेणु के बारे में बताती है कि उन्हे हारजीत से कोई मतलब नहीं था। वे बोलते थे अपने शौक के लिए चुनाव लड़े है। छोटी पत्‍‌नी पदमा रेणु के बेटे विधायक बने वेणु के बारे में पूछने पर कहती है कि अब तो वेणु का काम बढ़ गया है। इस कमरे में रेणु की तस्वीर पर फूल माला चढ़ा हुआ था। मीडिया कर्मियों से कई बार मुखातिब हो चुकी रेणु की दोनों पत्‍ि‌नयां शांत भाव में पूछे जाने सवालों के जवाब देने के अंदाज में बैठी थी। दरवाजे पर 25-30 ग्रामीण विधायक वेणु पर अपेक्षाओं का बोझ है। रेणु की रचनाओं में क्षेत्र की मृत प्राय भूमि को सींचने की अपेक्षा एवं विकास की अपेक्षाएं और न जाने क्या क्या? दरवाजे पर बैठे रेणु के छोटे बेटे पप्पू विधायक की प्राथमिकताओं के बारे में कहते है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों को दुरूस्त करना पड़ेगा। काफी कुरेदने पर वे कहते है कि दिल में एक सपना है कि बाबुजी के बचे हुए सामानों को लेकर एक म्यूजियम बनाना है। धरोहर को बचानी है। गांव में एक लाइब्रेरी भी बनानी है। वे लगातार आ रहे फोन को रिसीव करने का काम भी करते जा रहे थे। बात सड़क के अलावा बिजली, पानी की भी होती है। रेणु के गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली ईट सोलिंग सड़क में भी बदलाव लाना है।

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