जोकीहाट (अररिया) : गरीबी, कुपोषण व अशिक्षा जैसे कारणों से प्रखंड क्षेत्र में यक्ष्मा जैसे रोग प्रतिदिन फैलते जा रहे हैं। इतना ही नहीं ट्यूबरक्लोसिस रोग से वर्ष 2011 मे उचित देखरेख, कुपोषण, इलाज के बगैर तीन लोग काल के गाल में समा गये। रेफरल अस्पताल जोकीहाट के एसटीएस पिंकु कुमार साह एलटी अनवर हयात ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2008 से उक्त रोग प्रत्येक वर्ष बढ़ते जा रहे हैं। एमओटीसी डा जावेद आलम ने बताया कि 2011 में कुल 617 रोगियों के बलगम जांच किए गए जिसमें 72 रोगियों के बलगम पाजिटिव पाये गये। डा आलम ने बताया कि एक्सरे बलगम जांच एवं अन्य लक्षणों के आधार पर 167 लोगों में टीबी बैक्टेरिया मौजूद थे जिसमें तीन की मौत हो गई ,दस रोगियों ने दवाई छोड़ दी जबकि 70 रोगियों का इलाज पूरा हो गया, बाकी रोगियों को टीबी की दवाई कैट वन और टू के खुराक दिए जा रहे हैं। उन्होने बताया कि अशिक्षा के कारण भी ये रोग अधिक बढ़ रहे हैं क्योंकि कुछ रोगी दवाई की पूरी खुराक खायें बगैर पंजाब, हरियाणा चले जाते हैं जिससे उनके रोग और बढ़ जाते हैं जो कालानांतर में जानलेवा हो जाता है। डा. आलम ने बताया कि टीबी की दवाईयां लंबे समय तक लेना पड़ता है। बीच में दवाई छोड़ना खतरनाक होता है।
क्या कहते हैं डाक्टर?
रेफरल अस्पताल जोकीहाट के डा जावेद आलम ने बताया कि टीबी होने का मुख्य कारण खान-पान में कैलोरी की कमी, साफ सफाई की कमी, पौष्टिक आहार की कमी, ड्रापलेट इंफैक्शन, दवाई का कोर्स पूरा नही करना, गरीबी, जानकारी की कमी आदि कारणों से यक्ष्मा रोग में वृद्धि होने की आशंका बनी रहती है। डा आलम ने बताया कि खांसी, बुखार, वजन घटना आदि यक्ष्मा रोग के लक्षण हैं। ऐसे लक्षण पाए जाने पर तुरंत जांच कराना चाहिए। रेफरल अस्पताल में नि:शुल्क जांच किए जाने की बात उन्होने कही। कुछ लोग इसे हल्के में लेते हैं। डा आलम ने कहा कि समय रहते अगर इसका इलाज नही किया गया तो यह जानलेवा हो सकता है।
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