Thursday, March 8, 2012

अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा धर्मगंज मेला

पलासी (अररिया) : पूर्वोत्तर बिहार का गौरव माना जाने वाला प्रखंड का प्रसिद्ध धर्मगंज मेला जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक उदासीनता के कारण आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। पूर्व में धर्मगंज मेला को बिहार में प्रसिद्ध सोनपुर मेला के बाद दूसरा स्थान प्राप्त था। किंतु कालान्तर में सुविधाओं का अभाव, कई अपराधिक घटनाओं व देखरेख के अभाव में आज इसके अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है। बसंत पंचमी के अवसर पर आरंभ होने वाले इस मेला के बीट के लिए पूर्व में ठेकेदारों की लंबी कतार लगी रहती थी। सरकार को भी भारी राजस्व की प्राप्ति होती थी। किंतु अब बसंत पंचमी के अवसर पर स्थानीय प्रशासन द्वारा अपने स्तर पर मेले की शुरूआत पूजा-अर्चना के साथ करायी गयी। तत्पश्चात स्थानीय प्रशासन के काफी मशक्कत के बाद किसी तरह बीट के लिए ठेकेदारों को तैयार कराकर बीट दिया गया। इसकी पुष्टि अंचल पदाधिकारी अरुण कुमार शर्मा ने भी की है। जानकारों का कहना है कि पूर्व में यह मेला खासकर मवेशी मेला व मनोरंजन बिक्री के लिए जाना जाता था। पूर्व में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों सहित नेपाल से भी लोग मेला देखने व खरीद-बिक्री करने आते थे। जिमें हाथी, घोड़ा, उंट, कुत्ता, गाय, बैल सहित घरेलू उपयोग की वस्तुएं खरीदते थे। जिससे सरकार को भी भारी राजस्व की प्राप्ति होती थी। मनोरंजन के लिए सिनेमा, सर्कस, मौत का कुआं, थियेटर सहित अन्य साधन उपलब्ध रहता था। किंतु आज धर्मगंज मेला अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।

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