Thursday, March 8, 2012

मारवाड़ी समाज: चंग की थाप से निकल रहे होली के रंग


अररिया : रंगों के महापर्व में एकता का संदेश भी छुपा है। भले ही अलग-अलग समूहों में इसके रंग अलग-अलग हों, पर इनके मिलन से जो इंद्रधनुषी संस्कृति सामने आती है, वह देखने योग्य बात है।
मारवाड़ी समाज के सदस्य विगत दो सप्ताह से अपने ही ढंग से होली का उत्सव मनाने में लगे हैं। यह सदियों पुराना पारंपरिक समारोह है तथा इसकी जड़ें सुदूर राजस्थान में छुपी हैं।
अररिया के महावीर रोड स्थित मारवाड़ी पट्टी मुहल्ले में रहने वाले लोग प्रतिदिन पचास साठ की संख्या में एकत्रित होकर होली के गीत गाते हैं और मिठाईयों का आंनद लेकर घर लौट जाते हैं।
व्यवसायी शांति लाल जैन ने बताया कि मारवाड़ी समाज में भाईचारे का अटूट रिश्ता है। होली जैसे पर्व के माध्यम से इस रिश्ते को और मजबूत बनाने की कोशिश की जाती है। प्रतिदिन समाज का एक व्यक्ति कार्यक्रम का मेजबान बनता है और शेष लोग उसमें सहभागी होते हैं। डफ, जिसे राजस्थानी में चंग कहते हैं, के सहारे होली गीतों का शानदार समां बनता है और लोग मिठाईयों से मुंह मीठा कर घर लौट जाते हैं।
मंगलवार की रात भंवर लाल बेगवानी की मेजबानी में हुए
कार्यक्रम में हनुमान मल जैन, सागर मल जैन, कन्हैया लाल बोथरा, अजय बैद, पवन भूरा, अंकित, राजेश छाजेड़, निर्मल बोथरा, अरविंद नाहटा, मनीष वेगवानी, राधा जालान, आंनद सोमानी, गणेश अग्रवाल व अन्य शामिल हुए। कार्यक्रम में सबने होली गीत गाये तथा मिठाईयों का आनंद लिया। अब तक राजू दूधेड़िया, पवन जी बाहेती, खेमकरण वेगवानी व अन्य के घर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा चुका है।

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