अररिया : जिनकी उम्र स्कूल जाकर ककहारा सीखने की है, वे लखपति बनने का ख्वाब संजो रहे हैं। वो भी ऐसे रोजगार से जुड़कर जिससे फायदा कम घाटा ज्यादा है। बिहार राज्य में लाटरी बिक्री पर रोक होने के बावजूद यहां इसकी बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। इस नेटवर्क के आकाओं ने बिक्री के लिए एजेंट के रूप में नन्हें मुन्हें बच्चों को चुना है।
अररिया जिला मुख्यालय में रोज करीब एक से दो लाख तक की लाटरी बिकती है। इस अवैध लाटरी के धंधे में किशनगंज, पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी आदि के लोग जुड़े हैं। बिहार में लाटरी प्रतिबंधित होने के बाद भी बंगाल से किशनगंज के रास्ते अररिया में रोज लाटरी उतर रहा है।
अररिया शहर में इसका तार काली मंदिर चौक से सुभाष चौक, चांदनी चौक, सदर बाजार रोड तक जुड़ा है। सूत्रों की माने तो लाटरी के कारोबार में चाय, नाश्ता, सब्जी, पान, सत्तु, फल, कपड़ा आदि बेचने वाले लोग काफी सक्रिय हैं। विडंबना यह है कि प्रशासन के नाकों तले यह कारोबार फल-फूल रहा है, परंतु आज तक कोई कार्रवाई नहीं किया जाना भी आश्चर्य की बात है। जानकारों की माने तो अवैध लाटरी के खरीददार कई वर्दीवाले भी है, शायद इसी कारण दुधारु गाय को कोई हटाना नही चाहता है। बताया जाता है कि अररिया शहर के कई लोग लाटरी खरीद-बिक्री करने में लखपति बन गये हैं। वहीं, रुपया कमाने की दिलचस्पी ने कईयों को हजारों के नुकसान में भी डाल दिया है।
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