Wednesday, May 9, 2012

ट्रैफिक अराजकता के दौर से गुजर रहा अररिया

अररिया : दुनियां भले ही जेट की रफ्तार में चलने लगी हो पर अररिया का ट्रैफिक बैलगाड़ी की गति से ही चल रहा है। सड़क हादसों व ट्रैफिक जाम की बढ़ती समस्या ने पूरे परिदृश्य को अराजक बना दिया है। लेकिन पुलिस कप्तान शिवदीप लांडे के नेतृत्व में पुलिस ने इस अराजकता पर परोक्ष ही सही, निर्णायकप्रहार हुआ है। लोग ड्राइविंग लाइसेंस का महत्व समझने लगे हैं और यहां की सड़कों पर अब हेलमेट लगाकर चलने वाले बाइकर्स दिख रहे हैं। हालांकि सड़कों पर व्याप्त वाहन चालकों की मनमानी तथा यातायात नियमों की अनदेखी अब भी भारी पड़ रही है।
आंकड़ों के मुताबिक अराजक ट्रैफिक व्यवस्था ने विगत एक साल में सात दर्जन लोगों की बलि ली है तथा डेढ़ सौ से अधिक लोग घायल हुए हैं। जानकारों की मानें तो सबसे अधिक सड़क हादसे ट्रक व तिपहिया और दुपहिया वाहनों के कारण हुए हैं।
यहां की सड़कों पर अधिकतर वाहन चालक बगैर लाइसेंस वाहन चलाते रहे हैं। वाहन चालकों के पास गाड़ी के समुचित कागजात भी नहीं होते। इस बात की पुष्टि इससे भी होती है कि पुलिस कप्तान शिवदीप लांडे ने वाहन चेंकिंग में सैंकड़ों लोगों को बिना कागज व बिना लाइसेंस पकड़ कर चालान किया गया। हालांकि यह बात अलग है कि सैंकड़ों दुपहिया व चौपहिया वाहन पुलिस की कड़ाई के डर से घर में ही सिमट गए हैं। जब हालात सामान्य होंगे शायद तब ही सड़कों पर दिखेंगे।
जिले की पुलिस ने बात-बात पर सड़क जाम करने की आदत को भी गंभीरता से लिया है। पुलिस कप्तान श्री लांडे मानते हैं कि सड़क जाम करना, सड़क व सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाना तथा यातायात रोकना किसी समस्या का निदान नहीं। ऐसा करने वालों के साथ कड़ाई से निपटा जायेगा। उन्होंने ट्रैफिक नियमों के पालन में आम जन से सहयोग की भी अपील की। वे बताते हैं कि आने वाले दिनों में ईस्ट वेस्ट कोरीडोर पथ के पूरी तरह चालू होने तथा निर्माणाधीन राजमार्गो के तैयार हो जाने के बाद ट्रैफिक की स्थिति और बिगड़ेगी। इस पर अभी से सजग रहने की जरूरत है।
इधर, पुलिस के प्रयासों पर गौर करें तो उनकी कड़ाई के बाद विगत तीन माह के दौरान लगभग पंद्रह हजार वाहन चालकों ने लाइसेंस बनवाये हैं तथा सैकड़ों ने अपने वाहनों के कागजात अद्यतन करवाये हैं। इतना ही नहीं विगत तीन माह में तकरीबन 15 हजार हेलमेट की बिक्री भी हुई है। सड़कों पर हेलमेट लगाए चालक अब नजर आते हैं। निश्चय ही पुलिस का यह प्रयास ट्रैफिक के अराजक परिदृश्य को सुधारने की दिशा में सकारात्मक कदम है, पर प्रशासन का परिवहन विभाग, एनएचएआई तथा सड़क सुरक्षा को जमीन पर उतारने का दावा करने वाले एनजीओ कहां हैं? प्रशासन द्वारा दिन के आठ बजे से रात्रि आठ बजे तक अररिया व फारबिसगंज के व्यस्त मार्गो पर हैवी वाहनों के परिचालन पर रोक के बावजूद ऐसे वाहन किस तरह एंट्री पा जाते हें? जिला मुख्यालय की सड़कों पर अवारा पशु किस कदर घूमते रहते हैं?
यह विदित है कि अररिया कम लिटरेसी व अल्प जागरूकता वाला जिला है। ऐसे में आम जन के बीच ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के कितने प्रयास हो रहे हैं? परिवहन विभाग ने ओवरलोडिंग पकड़ने व लक्ष्यपूर्ति के अलावा और भी कुछ किया है क्या? सवाल कई हैं, इनके उत्तर परिवहन विभाग को जरूर देने चाहिए।
हालांकि जिला परिवहन पदाधिकारी सदन लाल जमादार का कहना है कि सड़कों पर ट्रैफिक को सुचारू बनाने के लिए विभाग सजग है तथा इस संबंध में जल्द ही उपाय किए जायेंगे।
बाक्स के लिए
अराजक ट्रैफिक के प्रमुख कारण
1. सड़कों का अतिक्रमण
2. सड़कों पर ही दुकान व हाट लगाना
3. ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूकता की कमी
4. प्रशासन व परिवहन विभाग की निष्क्रियता
5. वाहन चालकों की लापरवाही व ट्रैफिक नियमों की अनदेखी
6. नशे की हालत में वाहन चलाना
7. बेलगाम गाड़ियों का रफ्तार
8.नाबालिग लोगों द्वारा वाहनों का परिचालन
9. सड़कों पर लगने वाले वाहन स्टैंड
10. विज्ञापन के लिए जगह-जगह लगे बोर्ड व होर्डिग्स

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