अररिया : तीन दिन पहले शहर के एक कालेज में अध्यापन करने वाले एक प्राध्यापक एडीबी चौराहे के पास से गुजर रहे थे। चौराहे की दूसरी तरफ से आ रहे एक तेज रफ्तार वाहन ने उन्हें ठोकर मार दी और वे बुरी तरह घायल हो गये। उन्हें खून से लथपथ स्थिति में अस्पताल ले जाया गया।
इससे कुछ दिन पहले जागीर टोले के तिराहे पर एक बच्चा कंटेनर वाहन के नीचे आ गया। उदाहरण कई हैं। सड़क हादसों के प्लेस पर गौर करने से पता चलता है कि हादसे उन जगहों पर अधिक होते हैं जहां या तो चौराहे हैं या फिर सड़कों में सार्प बैंड हैं।
शहर का महादेव चौक दर्जनों कातिल हादसों का गवाह रहा। बाद में जनता की मांग पर चौराहे को क्लोज कर दिया गया। जिले में ऐसे कई चौराहे हैं जहां दुर्घटनाएं होती ही रहती हैं।
इस संबंध में जानकारों की मानें तो चौराहों का व्यास सड़क की चौड़ाई की तुलना में अक्सर कम रहता है। जबकि चौराहे या गोल चक्कर का घुमाव सड़क की तुलना में दो से ढाई गुना अधिक होना चाहिये।
जिला मुख्यालय में चार दर्जन चौराहे हैं। एकाध को छोड़ सारे चौराहे पर गुजरने वाला ट्रैफिक 'ब्लाइंड' रहता है। ऐसे स्थानों में आश्रम चौक, एडीबी चौक, नौरतन चौक, हीरा चौक, आजाद एकेडमी चौक, टाउन हाल चौक आदि प्रमुख हैं।
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