Monday, January 24, 2011

अंग्रेजो से लड़े थे आजाद हिंद फौज के सिपाही राधामोहन


रेणुग्राम (अररिया) : फणीश्वरनाथ रेणु की परती परिकथा की भूमि में बसा है शुभंकरपुर गांव। यहां सन 1973 में बर्मा (म्यांमार) से लाये गये विस्थापितों को बसाया गया था। इसी गांव में रहते थे राधा मोहन सिंह। उन्होंने नेताजी द्वार स्थापित आजाद हिंद फौज के सैनिक के रूप में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
राधा मोहन सिंह का कुछ साल पहले निधन हो चुका है। फिलहाल उनके तीन पुत्र व परिजन किसानी कर अपना गुजर बसर करते हैं। उनके पास बर्मा में आजाद हिंद फौज से संबंधित गतिविधियों के कुछ दस्तावेज थे। वर्मा से पलायन करते समय राधामोहनजी ने उन दस्तावेजों को शायद खूब संभाल कर रखा होगा। लेकिन भारत में उनकी कद्र नहीं की गयी। शुभंकरपुर में बसने के बाद उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन के लिए आवेदन किया। सारे दस्तावेज आवेदन के साथ संलग्न किये गये। लेकिन पेंशन नहीं मिली। उनके पास केवल बिहार सरकार के अधिकारी द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे गये पत्र की प्रति रह गयी। जिसमें उनके आजाद हिंद फौज से जुड़ाव के प्रमाण हैं।
राधामोहन जी के पुत्र राम विशुन सिंह, जय विशुन सिंह व शिव विशुन सिंह ने बताया कि उनके पूर्वज उन्नीसवीं सदी में मि. जानसन द्वारा बिहार के शाहाबाद जिले से गिरमिटिया मजदूर के रूप में वर्मा ले जाये गये थे। वर्मा में बिहार के ही एक जमींदार राजा धनुषधारी चौबे भी रहते थे। वहीं, नेता जी के आह्वान पर उनके पिता राधामोहन सिंह आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गये और अंग्रेजों के खिलाफ खूब लड़ाई की। सन पचास में बर्मा की आजादी के बाद जब वहां बर्मी राष्ट्रवाद तेज हो गया तो भारतीयों पर अत्याचार होने लगे और इसी कारण उन्हें 1973 में उन्हें बर्मा छोड़ कर पलायन करना पड़ा।

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