Monday, May 7, 2012

सुरों के अनुनाद से संगीत के स्वर्ग की सृष्टि


जोकीहाट, (अररिया): प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती,वह तो खुद अपना रास्ता बना लेती है। मोती भले ही समंदर के गहरे पानी में जन्म लेता हो, उसकी सजावट शीर्ष पर ही होती है। अररिया जिले के रवि ने इस बात को सच साबित कर दिखाया है। जहानपुर गांव से मुंबई तक का सुरीला सफर तय कर रवि ने लाखों कदरदानों को अपने तबले का दीवाना बना लिया है।
तबलावादन के क्षेत्र में उन्होंने देश के अव्वल कलाकारों की श्रेणी में अपना स्थन मुकम्मल कर लिया है। देश के बड़े शहरों मुंबई, इलाहाबाद,नागपुर,जबलपुर, लखनऊ,बनारस आदि में रवि के तबले के हजारों दीवाने हैं। अपनी कला के प्रदर्शन से खूब सुर्खियां बटोर कर रवि ने न सिर्फ शोहरत कमायी है बल्कि अपने सूबे और जिले का नाम भी रोशन किया है । उन्हे बिहारी होने पर गर्व है। उन्होने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहारियों को एक नई पहचान दी है। देश की महान कत्थककलाकार पालोमी मुखर्जी,कोमल महुआकर,अपर्णा राव एवं सितारवादक जुबेर शेख,रसिक हजारे तथा शास्त्रीय गायक पंडित विनय पाठक,दीपक काणे, सुप्रसिद्ध वायलिन वादक पंडित मोहन भाई व लसारा जैसे प्रसिद्ध कलाकारों के साथ रवि ने तबले पर संगत कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
जहानपुर गांव के राधाकान्त झा के पुत्र रवि ने पिता से प्रेरित होकर पूर्णिया के कला भवन में पं. वीरेन्द्र कुमार घोष से वर्ष 1986 से 93 के बीच तबला वादन की शिक्षा ली। 1995 से मुंबई में रहकर बनारस घराने के पं. गोदई महाराज के भतीजे पं. मदन मिश्रा से रवि ने तबला वादन में महारत हासिल की। आज तबला वादन के क्षेत्र में रवि का परचम पूरे मुंबई में लहरा रहा है।
रवि सिर्फ तबला वादन ही नहीं बल्कि तबला प्रशिक्षक के रुप में भी नेशनल सोसाईटी फोर क्लीन सिटिज इंडिया में बिरजू महाराज की चाची रमा देवी के साथ तबला प्रशिक्षक की भूमिका निभा रहे हैं।
विगत दिनों अपने गांव जहानपुर आने पर उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध तबलावादक जाकिर हुसैन उनके आदर्श हैं।
उन्होंने बताया कि 2001 में लखनऊ फेस्टिवल में वे अपना प्रदर्शन कर चुके हैं। भोजपुरी के प्रसिद्ध कलाकार पवन सिंह,कल्पना, देवी व कई अन्य फिल्मी हस्तियों के साथ स्टेज शो करने की बात भी रवि ने बतायी। रवि के बड़े भाई शशिकांत झा एवं रवि की पत्नी प्रेरणा झा भी संगीत साहित्य की दुनिया में अपने जिले का नाम रोशन कर रहे हैं। रवि की पत्नी प्रेरणा महाराष्ट्र में कत्थक प्रशिक्षक के पद पर काम कर रही हैं। वहीं शशि क्लासिकल संगीत के क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रहे हैं।
रवि ने बताया कि गांव आकर मुझे बहुत सुकून मिलता है। अपनी उपलब्धियों के लिए रवि ने गांव के लोगों के अतिरिक्त जोकीहाट व जिलेवासियों के स्नेह को आधार बताया।

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